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सुप्रीम कोर्ट के बाद हाईकोर्ट ने भी निरस्त की पंचायत चुनाव संबंधी याचिकाएं
भोपाल। प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में ओबीसी आरक्षण का मामला मप्र उच्च न्यायालय और देश की शीर्ष अदालत तक पहुंच गया था। बिना ओबीसी के पंचायत चुनाव नहीं कराने के आदेश के बाद राज्य सरकार ने एक अध्यादेश के जरिए पंचायत चुनाव रद्द कर दिये थे। इसके बाद हाल ही उच्चतम न्यायालय ने पंचायत चुनावों से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई से इन्कार कर दिया था, क्योंकि चुनाव रद्द हो गए हैं। अब उच्च न्यायालय ने भी पंचायत चुनाव संबंधी सभी याचिकाओं को अप्रासंगिक मानते हुए निरस्त कर दी हैं।
मप्र उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रवि मलिमठ व न्यायाधीश पुरुषेन्द्र कुमार कौरव की युगलपीठ में मंगलवार को पंचायत निर्वाचन से सम्बंधित याचिकाओं पर सुनवाई हुई। इस दौरान अदालत ने इन याचिकाएं मौजूदा हालात में अप्रासंगिक और सारहीन पाकर निरस्त कर दी। अदालत ने कहा कि मध्य प्रदेश शासन द्वारा अध्यादेश के जरिए पंचायतों के निर्वाचन निरस्त कर दिए गए हैं, इसलिए फिलहाल याचिका व्यर्थ हो गईं हैं।
दरअसल, इन याचिकाओं में आरक्षण की रोटेशन प्रणाली न अपनाएं जाने को चुनौती दी गई थी। इंटवीनर की हैसियत से आधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर, विनायक प्रसाद शाह, उदय कुमार, राम भजन लोधी ने पैरवी की। उच्च न्यायालय ने पंचायत चुनाव के परिसीमन और आरक्षण को लेकर दायर याचिकाओं पर अर्जेंट हियरिंग से इनकार कर दिया था। याचिकाकर्ताओं की ओर से मामले पर जल्द सुनवाई का निवेदन किया गया था। मुख्य न्यायाधीश मलिमठ की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा था कि शीतकालीन अवकाश के बाद ही मामले पर सुनवाई की जाएगी।