माफिया ने ली जंगल की बलि

माफिया ने ली जंगल की बलि
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वेबडेस्क/ श्याम चौरसिया। कुरावर-कोरोना त्रासदी में उलझे प्रशासन की व्यस्तता को जंगल माफिया ने नरसिंहगढ़ तहसील के बड़े गांव कोठरी कला के बचे खचे जंगल पर आरी चला भुना डाला। चंद दिनों में बड़ी बेखोफ पने से काफी पुराने,मोटे इमारती,फलदार सेकड़ो पेड़ काट डाले। कटे पेड़ रोड किनारे पड़े, वन विभाग की मिलीभगत की चुगली कर रहे है।

दिलचस्प ये है कि राजस्व ओर पुलिस तो कॅरोना प्रोटोकाल की व्यवस्था में उलझा हुआ था। मगर वन विभाग तो मुक्त था। अधिकार और साधनों से लैस होने के बाबजूद बीट प्रभारी को खुले आम रॉड साइड के काटे जा रहे पेड़ो की भनक नही लगी। क्यो नही लगी? यदि साठगांठ न होती तो वन विभाग पेड़ काटने वालो की मुश्के कस देता। मगर जंगल पर आरी चलाने वाले आम और साधारण नही बल्कि जिम्मेदार वनकर्मियों को नवाजने वाला माफिया था। माफिया दबंग न होता तो ग्रामवासी डर की वजह से आंखे बंद नही कर लेते। जीवन रक्षक पेड़ो को काटने की खबर प्रशासन को अवश्य देते।

जंगल काटे जाने से राजस्व विभाग फिलहाल सकते में लगता है। कोठरी कला कुरावर टप्पे का हिस्सा है। बताते है। एसडीएम वैष्णव ने जिम्मेदारों की क्लास ले, माफिया की मुश्के कसने की ,हिदायते,नसीयते दी। यदि प्रशासन निष्पक्ष सख्त ओर सक्रिय रहा तो माफिया को दबोचना कठिन नही होगा।सनद रहे कि कोटरा बीट,चिढ़ी खो अभ्यारण से भी सागवान के पेड़ काटने की वारदातें होती रहती है। जबकि पर्याप्त वन अमला तैनात है।

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