ऐतिहासिक झील परसराम में मत्स्य पालन की खिलाफत में नरसिंहगढ़

ऐतिहासिक झील परसराम में मत्स्य पालन की खिलाफत में नरसिंहगढ़
X

नरसिंहगढ़। मत्स्य पालन के लिए मिलने वाले 75 % अनुदान के लोभ में मत्स्य ठेकेदार ने पेंच सुलझाने के लिए बीजेपी के जिला स्तरीय एक सीनियर नेता से कलेक्टर पर दबाब डलवाने की कोशिश की। बताते है कलेक्टर ने दबाब को दरकिनार करते हुए मालवा ए कश्मीर नरसिंहगढ़ के हित मे दृढ़ रहे।

दरअसल विधायक महाराज राजवर्धन सिंह ने उक्त इतिहासिक झील को बचाने की मुहिम छेड़ रखी है। श्री सिंह के मुताबिक मत्स्य ठेकेदार तय शुदा मत्स्य आहार की बजाय मुर्गियों की बीट तालाब में डालते है। जिससे तालाब उथला होने के अलावा मेला हो चुका है। ऑक्सीजन की जगह पारा सहित अन्य घातक रसायनों ने झील का बंटाधार कर दिया।पूरी झील सेप्टिक टैंक की बदल चुकी है।बदबू से रहवासी परेशान है। 40 हजार नागरिक झील में मत्स्य पालन के विरोध में है। नगर पालिका परिषद इस आशय की आपत्ति दर्ज करवा चुकी है। मगर हर साल लाखों रुपया कमाने वाला ठेकेदार एक बार फिर से ठेका हासिल करने के लिए हर प्रकार की जोड़ तोड़ कर रहा है। यदि मत्स्य विभाग जनहित में ओर झील के सरक्षण के हित मे फैसला लेता तो पेंच नही उलझते।

राजगढ़ मत्स्य विभाग के उप संचालक सुनील शुक्ला ने नियमो का हवाला देते हुए माना कि नगर पालिका परिषद ने पर्यावरण का हवाला देते हुए झील में मत्स्य पालन का लिखित विरोध किया है। विधायक राजवर्धन सिंह ने भी नगर के स्वास्थ को देखते हुए आपत्ति दर्ज कराई है। अंतिम फ़ेसले के लिए फाइल कलेक्टर के पास है।सनद रहे कि पिछले 05 दशक से झील को मत्स्य पालन के लिए ठेके पर दिए जाते रहने से झील की प्राकृतिक आभा, छटा, गतिशीलता, ताजगी,निर्मलता का बंटाधार हो चुका है।झील भारत के सबसे बड़े सेप्टिक टैंक में बदल चुकी है। झील को जिंदा रखने के लिए मत्स्य पालन बन्द करना ही एक मात्र अंतिम समाधान है।

Tags

Next Story