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राहुल गांधी के आश्वासन के बाद एकता परिषद का आंदोलन समाप्त
ग्वालियर/मुरैना/स्वदेश वेब डेस्क। जल, जंगल और जमीन की लड़ाई लड़ रहे भूमिहीन आदिवासियों ने आज मुरैना में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के आश्वासन के बाद अपना आन्दोलन समाप्त कर दिया। लगभग 25 हजार सत्याग्रही 4 अक्टूबर को ग्वालियर से दिल्ली के लिए निकले थे। मंच से राहुल गांधी के भाषण के बाद एकता परिषद के संस्थापक पीवी राजगोपाल ने आंदोलन समाप्ति की घोषणा की।
एकता परिषद के बैनर पर अपने अधिकारों के लिए लड़ रहे भूमिहीन आदिवासियों के जनांदोलन 2018 के मंच पर मुरैना में आज कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ, चुनाव अभियान समिति प्रमुख ज्योतिरादित्य सिंधिया, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सहित कई नेता पहुंचे। सभी नेताओं ने एक एक कर मंच से मोदी सरकार के विरुद्ध जहर उगला और हमेशा की तरह पिछले आरोपों को दोहराया और ये साबित करने का प्रयास किया कि कांग्रेस को ही आदिवासियों की चिंता रहती है। एकता परिषद के मंच से राहुल गांधी ने कहा आपकी लड़ाई में हम आपके साथ हैं उन्होंने भरोसा दिलाया कि मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में यदि हमारी सरकारें बनीं तो भूमि अधिकार कानून पूरी तरह लागू कर दिया जाएगा। राहुल गांधी ने कहा कि यदि हमारी सरकार बनने के बाद किसानों की जमीन उनसे ली गई तो उन्हें उसका चार गुना दाम दिया जाएगा। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी राहुल की बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनते ही आदिवासियों और गरीबों को उनको अधिकार दिया जाएगा।
कांग्रेस नेताओं की बात सुनने के बाद एकता परिषद के संस्थापक पीवी राजगोपाल ने मंच से राहुल गांधी की प्रशंसा करते हुए उनको देश की नई उम्मीद बता दिया। उन्होंने सत्ता परिवर्तन की आवश्यकता बताते हुए राहुल गांधी से कहा कि अभी आप तीन राज्यों में हैं और आने वाले चुनावों में कई राज्यों में आपकी सरकार बनने वाली है इसलिए हमें उम्मीद है कि जैसे आपकी सरकार ने 2006 में वन अधिकार कानून बनाया था फिर 2012 में भूमि अधिग्रहण और पुनर्वास के लिए बिल बनाया था वैसे ही आपकी पार्टी की सरकार बनते ही आदिवासियों को उनके अधिकार मिल जायेंगे। भाषण के अंत में राहुल गांधी के आश्वासन के बाद पीवी राजगोपाल ने जनांदोलन 2018 के समापन की घोषणा कर दी।
उल्लेखनीय है कि ग्वालियर में 15 से अधिक राज्यों के 25000 सत्याग्रही एकता परिषद के बैनर पर जमा हुए थे और 4 अक्टूबर को दिल्ली के लिए कूच कर गए थे लेकिन ग्वालियर से दिल्ली के लिए निकलने से पहले 3 अक्टूबर को मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ग्वालियर आये थे और ग्वालियर व्यापार मेला मैदान में भूमिहीनों को सरकार द्वारा उनके लिए चलाई जा रही योजनाएं बताई थी और केंद्र सरकार से बात कर उनकी हर संभव मदद का भरोसा दिया था। इसके बाद केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह के अस्वस्थ होने के कारण उनके कहने पर केंद्र सरकार की ओर से केंद्रीय राज्य मंत्री वीरेंद्र कुमार ग्वालियर आये थे और साथ में सरकार का वो पत्र भी लाये थे जिसमें आदिवासियों की मांगों के विषय में हुईं पिछली दो बैठकों और इनपर निर्णय के लिए समिति गठित करने का ब्यौरा था। उन्होंने ये पत्र पीवी राजगोपाल को मंच पर सौंपा भी था। लेकिन ये बात समझ से दूर है कि जो पार्टी सरकार में है और लगातार किसानों, आदिवासियों, गरीबों, वंचितों के लिए योजनाएं बनाकर उन्हें उसका लाभ दे रही है, जिसकी सरकार देश के अधिकांश राज्यों में है, उस पार्टी के प्रतिनिधियों मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री की बात का भरोसा पीवी राजगोपाल को नहीं हुआ और जो पार्टी सत्ता से बाहर है और देश के कुछ ही राज्यों में सिमट कर रह गई है उसके नेता की बात पर इतना भरोसा कि 4 अक्टूबर को दिल्ली तक जाने के अटल फैसले को दो ही दिन बाद 6 अक्टूबर को ही समाप्त कर दिया । कुल मिलाकर एकता परिषद का ये फैसला कई संदेहों को जन्म देता है। इस पूरे घटनाक्रम को देखकर तो ऐसा लगता है कि जैसे एकता परिषद को राहुल गांधी का ही इंतजार था।
दिग्विजय सिंह को सवर्ण समाज ने दिखाए काले झंडे
राहुल गांधी के पहुँचने से पहले सुबह शताब्दी एक्सप्रेस से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह मुरैना पहुंचे। रेलवे स्टेशन पर कांग्रेस नेताओं ने उनका पुष्पहारों से स्वागत किया लेकिन जब उनके वाहनों का काफिला पुल तिराहे से निकल रहा था तभी भारी सुरक्षा के बीच सवर्ण समाज के लोग सड़क के एक तरफ हाथों में काले झंडे लिए उनका विरोध करने लगे। दिग्विजय सिंह वापस जाओ , राहुल गाँधी वापस जाओ के नारों के बीच वाहनों का काफिला आगे बढ़ रहा था, जब वीआईपी वाहन आगे निकल गए उसी समय अचानक गाड़ियों में से कुछ कांग्रेस नेता निकले और काले झंडे लिए विरोध दर्ज करा रहे सवर्ण समाज के लोगों से भिड़ गए। पुलिस ने बहुत मुश्किल से बीचबचाव कर मामले को शांत कराया लेकिन इस हाथापाई में सवर्ण समाज के कुछ लोगों चोटिल हो गए । घटना के बाद सवर्ण समाज के प्रतिनिधियों ने पूर्व मंत्री एंदल सिंह कंसाना के बेटे और उनके साथियों पर मारपीट के आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि वो शांतिपपूर्वक विरोध दर्ज करा रहे थे तभी पूर्व मंत्री के बेटे ने अपने साथियों के साथ उन लोगों पर हमला कर दिया। उन्होंने एफआईआर की मांग करते हुए चेतावनी दी कि यदि तत्काल पुलिस करवाई नहीं हुई तो राहुल गांधी का कार्यक्रम नहीं होने दिया जाएगा। लेकिन पुलिस ने कांग्रेसियों पर कार्रवाई करने की सवर्ण समाज की मांग को ठुकराते हुए उन्हें गिरफ्तार कर लिया जिससे राहुल गांधी के कार्यक्रम में सवर्ण समाज के लोग कोई हंगामा न खड़ा ना कर पाएं ।