सचिन तेंदुलकर पहुंचे संदलपुर, बोले- पिता जी चाहते थे कि वह बच्चों के लिए कुछ करें

सचिन तेंदुलकर पहुंचे संदलपुर, बोले- पिता जी चाहते थे कि वह बच्चों के लिए कुछ करें
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देवास। मास्टर ब्लास्टर के नाम से प्रसिद्ध भारतीय क्रिकेट टीम के महान खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर मंगलवार को मध्य प्रदेश के देवास जिले में ग्राम संदलपुर पहुंचे और यहां एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) "परिवार" के कार्यक्रम में शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने अपने पिता को याद किया। उन्होंने कहा कि पिता जी चाहते थे कि वह बच्चों के कुछ लिए करें। वे आज हमारे बीच होते तो बहुत खुशी होती।

सचिन तेंदुलकर मंगलवार को मध्य प्रदेश के एक दिवसीय प्रवास पर रहे। वे सुबह विमान से इंदौर एयरपोर्ट पहुंचे और वहां से सड़क मार्ग से देवास जिले के खातेगांव क्षेत्र अंतर्गत ग्राम संदलपुर पहुंचे। वहां आदिवासी बच्चों की पढ़ाई के लिए काम करने वाले एक एनजीओ के कार्यक्रम में शामिल हुए। सचिन तेंदुलकर इस एनजीओ के सहयोगी हैं और अपने फाउंडेशन की मदद से इन बच्चों की पढ़ाई में मदद कर रहे हैं। सचिन ने यहां अपनी टीम के साथ बिल्डिंग का दौरा भी किया।

सचिन का यह दौरा बेहद गोपनीय रखा गया था लेकिन उनके यहां पहुंचने पर लोगों ने उन्हें पहचान लिया। सचिन का काफिला चापड़ा से बागली, पुंजापुरा होकर खातेगांव के संदलपुर पहुंचा। इस दौरान जहां से भी वे गुजरे, लोगों ने हाथों में तिरंगा लेकर उनका स्वागत किया। कई लोगों ने रास्ते में उनकी कार पर फूल बरसाए। सचिन ने भी हाथ हिलाकर लोगों के अभिवादन को स्वीकार किया। कार्यक्रम में शिरकत करने के बाद वे सीहोर जिले के ग्राम सेवनिया पहुंचे।

उल्लेखनीय है कि सचिन तेंदुलकर ने एनजीओ परिवार के साथ साझेदारी की है। यह एनजीओ आदिवासी बच्चों की पढ़ाई कराने के साथ-साथ उनके भविष्य निर्माण में अहम भूमिका निभा रहा है। इस एनजीओ ने देवास और सीहोर जिले के दूरदराज के गांवों में सेवा कुटीर बनाए हैं, जहां आदिवासी और गरीब बच्चों को निशुल्क शिक्षा दी जाती है। इन्हीं में एक सेवा कुटीर ग्राम सेवनिया में है, जहां सचिन तेंदुलकर मंगलवार को पहुंचे। यहां वे बच्चों से मिले और उनका हाल-चाल जाना।

एनजीओ परिवार ने सीहोर जिले में करीब साढ़े छह सौ आदिवासी बच्चों के भाग्य निर्माण की जिम्मेदारी ली है। सचिन भी इस संस्था के साझेदार हैं। तेंदुलकर फाउंडेशन की मदद से इन बच्चों को पोषण, भोजन और शिक्षा मिल रही है। यहां के बच्चे मुख्य रूप से बरेला भील और गोंड जनजाति के हैं। सेवा कुटीर में छात्रों के भोजन का और शैक्षणिक सामग्री का विशेष ध्यान रखा जाता है। जानकारी अनुसार सचिन ने प्रदेश के करीब 42 गांवों में सेवा कुटीर बनाए हैं, जिनमें से सेवनिया और देवास जिले के बच्चों से मिलने के लिए वे आज आये थे।

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