पुरातत्व की उदासीनता एवम प्रशासन की अनियमितताओं के चलते अपना वजूद ढूंढता विजयपुर किला

पुरातत्व की उदासीनता एवम प्रशासन की अनियमितताओं के चलते अपना वजूद ढूंढता विजयपुर किला
X
अतिक्रमण की चपेट में राज्य पुरातत्व स्मारक

श्योपुर। जिले की तहसील विजयपुर में पुरातात्विक इमारत अपना अस्तित्व खोज रही हैं। तहसील में बना 16 से 17 वी सदी का एक किला है जिसका निर्माण करौली के जादौन राजा गोपाल सिंह द्वारा कराया गया था यह किला कुंवारी नदी के उत्तरी तट पर एक ऊंचे टीले पर बना है। जिसे राज्य पुरातत्व स्मारकों में शामिल तो कर लिया है लेकिन इसकी दयनीय स्थिति पर आज इसे संवारने वाला ना तो पुरातत्व विभाग है ना नगरीय प्रशासन। चारो ओर अतिक्रमण की जद में आने से यह प्राचीन स्मारक अपनी वास्तविक स्थिति को भूल बैठा है। इसके अतिक्रमण कराने में नगरीय प्रशासन का कार्य बिल्कुल आग में घी झोंकने जैसा है।


इसके रख रखाव को तो छोड़ो बल्कि इस किले के भीतर नगर परिषद विजयपुर ने आवास भी आवंटित कर दिए है। ऐसा प्रतीत होता है कि इस लावारिस मूर्छित पड़े किले को और नष्ट करने के लिए प्रशासन ने कढ़ी मेहनत की है।इसके प्रथम बड़े गेट से ही अतिक्रमण का संक्रमण ऐसा बढ़ गया है कि उसने किले के चारो तरफ से प्राचीरों को घेर लिया लिया है।


एक तरफ जिला प्रशासन कूनो अभ्यारण में पर्यटकों के ध्यानाकर्षण के लिए प्रयासरत है। दूसरी तरफ विजयपुर का नगरीय प्रशासन ध्यानाकर्षण की पहल को धूमिल करता हुआ नजर आ रहा है।अधूरे टूटे पड़े घाट एवम ढही हुई प्राचीरें अब संरक्षण की गुहार लगा रही हैं लेकिन ना तो सुध नगर परिषद को है ना जिला प्रशासन को ।नगर परिषद की लापरवाही के कारण एवम तहसील के मालिक की उदासीनता के चलते अभी भी नगर में प्राचीरों के किनारे किनारे अतिक्रमण जारी है।

किले के अंदर दो मंजिला महल है ऊपरी मंजिल स्थापित की दृष्टि से महत्वपूर्ण है मध्यकालीन राजपूतों के महलों की तरह यह महल भी ईंट और चूने का बना है किले के अंदर शिवजी की छतरी मदन मोहन जी का मंदिर एवं सैयद अली की दरगाह आदि बने हैं यह किला युद्ध कौशल की दृष्टि से महत्वपूर्ण है 18 वीं शताब्दी के आरंभिक वर्षों यह किला नरवर शिवपुरी के कछवाहा राजा के मंत्री सेनापति वीरवर खंडेराय की अधिपत्य में रहा । लेकिन आज इसे देखकर लगता है कि जो कभी विजयपुर के शौर्य की गाथा हुआ करती थी वही आज अपनी स्थिति पर आंशू बहा रहा है।

Tags

Next Story