केंद्र सरकार की बुंदेलखंड में जल स्तर बढ़ाने की योजना

केंद्र सरकार की बुंदेलखंड में जल स्तर बढ़ाने की योजना
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सागर/श्याम चोरसिया। मप्र के बुंदेलखंड के 06 जिलों में गोते लगा चुके जल स्तर को ऊंचा उठाने के लिए केंद्र सरकार ने 314 की एक महत्वाकांक्षी योजना को अंतिम रूप दिया है। उक्त राशि से 80 जलाशयों की डीपीआर बनाने के लिए प्रदेश के जल संसाधन विभाग को जिम्मा दिया है। ग्रामीण विकाश विभाग भी जोड़ा है।

केंद्र ये राशि तभी देगा जब वांछित उपलब्धि के कागजी नही बल्कि जमीनी दर्शन करवा दिए जाएंगे। इस कठोर शर्त की तह में करोडो के बुंदेलखंड पैकेज की बेदर्दी से बर्बाद करने जैसा है ।पैकेज में बुंदेलखंड की नदियों,नालों,सरोवरों को सही करना भी शामिल था, मगर हुआ उल्टा। बड़े अधिकारी और नेताओं ने कागजों में आंकड़ो की फसल उगा कर करोड़ो रुपया हजम कर लिया।यदि पैकेज को जमीन पर उतार दिया जाता तो सागर,पन्ना,दमोह,छतरपुर, टीकमगढ़, आदि जिले बून्द बून्द पानी के लिए संग्राम नही कर रहे होते। जल स्तर पाताल के पेंदे न चूम रहा होता।खेती की दशा बदतर न होती। रोजगार के अभाव में पलायन की त्रासदी से दो चार न होना पड़ता।

हालत गंभीर -

छतरपुर कर बड़ा मलहरा ओर बकसुआ की हालत बेहद गम्भीर,सोचनीय है। 53 हजार करोड़ के हीरे अपनी कोख में दबाने वाली धरती को चुल्लू- चुल्लू पानी जुटाने के लिए हाड़ तोड़ मेहनत करनी पड़ती है। कुए ,नदी नाले,नलकूप,हेण्डपम्प सब मार्च के अंत तक टें बोल चित्कारने लगते है।

जीवन दुरूह-

जीवन को गति देने और रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए 06 जिलों में 80 जलाशय बनेंगे। हर जिले में 50 करोड़ खर्च प्रस्तावित है।पुराने जल स्मारकों में भी जान फुकी जाएगी। यदि डीपीआर, ड्राईंग डिजाइन को ठोकर पर रख ब्रदर्दी से स्वीकृत करोडो की राशि न फुकी जाती तो शायद बुंदेलखंड आज पानी के लिए खण्ड खण्ड न होता।मालवा की तरह जल गच्छ हो जाता।

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