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चंबल नदी खतरे के निशान से ऊपर, कई गांव पानी में डूबे, रेस्क्यू ऑपरेशन जारी
मुरैना। चम्बल की बाढ़ का कहर आज लगातार तीसरे दिन भी ग्रामीणों पर दिखाई दे रहा है। सुबह से बढ़ते जल स्तर के कारण 35 गांव से मुरैना जिला मुख्यालय का सम्पर्क टूट गया। एक सैकड़ा गांव जहां चारों तरफ पानी से घिर गये हैं। वहीं सैकड़ों लोग अभी भी भोजन, पानी व उन्हें निकाले जाने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। जिला प्रशासन व पुलिस समाजसेवियों के साथ मिलकर बाढ़ में फसे ग्रामीणों को बाहर निकालने में जुटे हुये हैं। हालांकि जिले में बड़ी राहत है कि कोई भी जनहानि नहीं हुई है।
मुरैना जिले के चम्बल राजघाट पुल पर गुरूवार सुबह 8 बजे नदी का जल स्तर 145.80 मीटर था। यह दोपहर 12 बजे 146.20 तथा दोपहर 02 बजे 146.40 मीटर पर पहुंच गया। लगातार धीमी गति से बढ़ रहे चम्बल स्तर के कारण नदी की तलहटी के गांवों में बने स्कूल, पंचायत भवन तथा ग्रामीणों के घर पूरी तरह डूब गये हैं। सबलगढ़ से लेकर पोरसा के अनेक गांवों में 10 से 15 फीट पानी भरा हुआ है। इस बांढ से ग्रामीणों का घरेलू सामान पूरी तरह नष्ट हो गया है। कुछ गांव ऐसे भी हैं, जहां से ग्रामीण बाहर नहीं आना चाहते, घर डूबने के बाद भी अपनी छतों पर बैठे हुये हैं।
ये गांव प्रभावित -
मुरैना जिले की पोरसा तहसील के भूप का पुरा, खुर्द रायपुर, मुरैना का भानपुर, अम्बाह का वीलपुर, कंचनपुरा, जौरा के जुगरूआ पुरा, आमलीपुरा, सबलगढ़ के बटेश्वरा, रतियापुरा, बुद्धापुरा, सीतापुरा, नरेगा का पुरा, मदनपुरा जैसे आधा सैकड़ा गांव से ग्रामीणों को रेस्क्यू कर निकाला है। इनको सुरक्षित राहत शिविरों में ठहरा दिया गया है।
यहां भोजन, पानी की सभी व्यवस्थायें कीं गईं हैं। जिले के कुछ समाजसेवी पुलिस प्रशासन के साथ सहयोग कर ग्रामीणों को बाहर निकालने में लगे हुये हैं। पोरसा तहसील के भूप का पुरा में 60-70 घर पूरी तरह डूब गये हैं। इन घरों में रहने वाले पांच सैकड़ा लोगों को राहत शिविरों में लाया गया है। भूप का पुरा निवासी ग्रामीण महिला श्रीमती नेमा देवी ने बताया कि घरेलू सामग्री, खाद्यान्न पूरी तरह नष्ट हो गया है। उनके खाने पीने की व्यवस्था रोड़ किनारे बने डेरों पर हो रही है। इसी तरह खुर्द रायपुर निवासी मोहर सिंह ने बताया कि उनका आधा गांव डूब चुका है। आधे गांव में लोग फसे हुये हैं। गांव में आवागमन पूरी तरह बंद है। जिन ग्रामीणों को बाहर निकाला गया है वह दो दिन से सडक़ किनारे तम्बुओं में रह रहे हैं। गढिया सरपंच उदयसिंह ने बताया कि क्षेत्र की 600-700 घरों में से आधा सैकड़ा पूरी तरह डूब चुके हैं। ग्रामीणों को बाहर निकालने का प्रयास किया जा रहा है। इसी तरह सबलगढ़ के ग्राम पंचायत बटेश्वरा व अन्य गांवों में रेस्क्यू किया जा रहा है।
जौरा के आमली पुरा व जुगरूआ पुरा के कुछ ग्रामीण अपने घरों की छतों पर हैं। इस गांव के कुछ ग्रामीण कुछ परिजनों सहित बीहड़ों के टापूओं पर समय व्यतीत कर रहे हैं। गांधी सागर बांध व कोटा बेराज से कम पानी छोडऩे के बावजूद भी चम्बल का बढ़ता जल स्तर प्रशासन, पुलिस के लिये चिंता का विषय बना हुआ है।