1500 नन्हे घड़ियालों के जन्म से चहचहाई चंबल

1500 नन्हे घड़ियालों के जन्म से चहचहाई चंबल
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मुरैना। प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश की सीमाओं के बीच बह रही चंबल नदी में इन दिनों नन्हे घड़ियालों से किनारे चहचहा रहे हैं। प्राकृतिक प्रजनन से घड़ियालों द्वारा दिए गए अंडों से नन्हे घड़ियाल नदी में विचरण कर रहे हैं, यह दृश्य बेहद मनोरम है।

लॉकडाउन के बाद से चंबल नदी में घड़ियालों का परिवार लगातार बढ़ रहा है। चंबल नदी में वर्तमान समय में घड़ियालों की संख्या 1859 है। हाल ही में जन्म लेने वाले लगभग 1550 नन्हे घड़ियालों की संख्या जोड़ देते हैं तो चंबल में घड़ियालों की संख्या करीब तीन हजार के आस-पास हो जाएगी। वहीं मध्यप्रदेश के देवरी अभ्यारण्य केंद्र और धौलपुर रेंज में करीब 1188 अंडों में से घड़ियाल के बच्चे पहले ही सुरक्षित निकल आए हैं। अभी शेष 455 अंडे बचे हैं, जिनसे घड़ियाल का जन्म होना है।चंबल नदी के आसपास 435 किलोमीटर क्षेत्रफल में अभ्यारण फैला हुआ है।

सर्दियों में छोड़े जाते हैं नन्हे घड़ियाल

देवरी सेंचुरी में अंडे से प्रजनन के बाद नन्हे घड़ियालों की देखरेख लगभग ढाई साल तक की जाती है। फिर प्रत्येक वर्ष सर्दियों में इन्हें चंबल नदी में छोड़ा जाता है।



सवा मीटर होती है नवजात की लंबाई

अप्रैल से जून तक घड़ियाल का प्रजनन काल रहता है। मई-जून में चंबल नदी के आसपास मादा रेत में 30 से 40 सेमी का गड्ढा खोदकर 40 से लेकर 70 अंडे देती है। करीब महीने भर बाद अंडों से बच्चे किलकिलाहट करते हैं। जिसे सुन मादा रेत हटाकर बच्चों को निकालती है और चंबल नदी में ले जाती है। नदी तक पहुंचने में नर घड़ियाल उनकी मदद करते हैं। स्वस्थ अंडे का वजन करीब 112 ग्राम होता है। जन्म के तीन माह तक बच्चों को भोजन की जरूरत नहीं पड़ती है। नवजात घड़ियालों की लंबाई 1.2 मीटर होती है, तब ही इन्हें चंबल नदी में छोड़ा जाता है। अगर लम्बाई कम होती हैं तो इन्हें देवरी अभ्यारण केंद्र में रखा जाता हैं और लम्बाई पूरी होने पर चंबल नदी में छोड़ दिया जाता है।

बताते हैं कि नन्हे घड़ियालों को सबसे अधिक नुकसान बारिश के दिनों में होता है। इसके अलावा बाज, कौवे, सांप, मगरमच्छ सहित अन्य मांसाहारी जलीय जीवों से भी खतरा बना रहता है। यह घड़ियाल अत्यंत दुर्लभ प्रजाति के जीव है और दुनिया में करीब-करीब सभी जगह से लुप्त हो चुके हैं। भारत में ही इनकी सबसे ज्यादा संख्या पाई जाती है और सबसे ज्यादा संख्या चंबल नदी के इलाके में है।

इनका कहना

चंबल नदी में प्राकृतिक प्रजनन से घड़ियालों की संख्या यकायक बढ़ गई है। देवरी सेंचुरी में नन्हे घड़ियालों को ढाई से तीन साल देखरेख के बाद सर्दियों के समय चंबल में छोड़ा जाता है।

जेपी दंडोतिया

प्रभारी देवरी सेंचुरी अभ्यारण

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