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कूनो से निकल मुरैना के गांवों में पहुंचा चीता, ग्रामीणों में दहशत
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मुरैना। मादा चीता वीरा द्वारा 4 दिवस के दौरान एक बकरा व एक बकरी का शिकार कर ग्रामीणों में दहशत पैदा कर दी है। मादा चीता ने बीते चार दिवस से नरहेला के जंगलों में अपना आसरा बना लिया है। जिला वन मण्डल मुरैना के साथ-साथ कूनो सेंचुरी की ट्रेकिंग टीम भी चीता की निगरानी करते हुये पीछा कर रही है।
जंगल से मात्र आधा किलोमीटर की दूरी पर रूककर ट्रेकिंग दल द्वारा लगातार लोकेशन ली जा रही है। मुरैना के वन विभाग ने ग्रामीणों से अपील की है कि चीता मानव पर हमला नहीं करता इसलिये चीता को सुरक्षित रखने के लिये ग्रामीणों से वन विभाग का सहयोग करने को कहा है। बीते दस दिवस के दौरान मादा चीता वीरा ने 125 किलोमीटर का सफर तय किया है।
विगत दस दिवस के दौरान कूनो चीता सेंचुरी क्षेत्र की सीमाओं से निकलकर मादा चीता वीरा मुरैना जिले के पहाडग़ढ़ होती हुई जौरा तहसील क्षेत्र में आ गई है। विगत चार दिवस से नरहेला के जंगल को अपना आसरा बनाये मादा चीता वीरा ने मंगलवार को अपना पहला शिकार बकरी के रूप में किया। ग्रामीण ऋषिकेश बघेल अपनी बकरियों को लेकर जंगल में गया था। उसके सामने ही चीता उसकी बकरी को उठा ले गया। इसकी खबर पूरे गांव में तत्काल हो गई। ग्रामीण देर शाम बाहर निकलने से डरने लगे। इसके बावजूद भी गुरूवार को हिम्मत जुटाकर अपनी बकरियों को जंगल में ले जाने वाले ऋषिकेश बघेल के सामने चीता ने एक बकरे को अपना शिकार बना लिया। पशुपालक ने उसे पूरा मुआवजा न दिये जाने का आरोप वन विभाग पर लगाया है। सेंचुरी की टीम चीता के आसपास आधा किलोमीटर क्षेत्र में भ्रमण कर रही है।
चीता ने तीन दिन में दो जानवरों का किया शिकार
नरहेला गांव के पशु पालक ऋषिकेश बघेल ने वन विभाग पर आरोप लगाया कि तीन दिवस के दौरान उसके दो जानवरों का शिकार चीता ने कर दिया। जिसकी कीमत 15-15 हजार रूपये थी। मुआवजे के रूप में मात्र 6 हजार रूपये की राशि उसे मिली है। उसे पूरा मुआवजा नहीं दिया गया है। वहीं पहले दिन जंगल जाते समय वन विभाग का दल उसे अवगत करा देता तो उसके साथ यह घटना नहीं होती।
किसान व ग्रामीण चीता की सुरक्षा में सहयोग करें-
कूनो सेंचुरी से निकलकर जिले की जौरा तहसील के नरहेला गांव के जंगल में आसरा लिये मादा चीता वीरा की सुरक्षा के लिये जिला वन मण्डल अधिकारी स्वरूप दीक्षित ने किसान व ग्रामीणों से अपील की है कि चीता अति सुरक्षित प्रजाति का प्राणी है। इसलिये चीता को सुरक्षित रखने हेतु सूखे कुंओं को ढक दिया जाये, खेतों में जानवरों की सुरक्षा के लिये लगाये गये करंट वाले तारों में विद्युत प्रवाह नहीं होना चाहिए। श्री दीक्षित ने पशुपालक को पूरा मुआवजा नहीं दिये जाने के आरोप का खण्डन करते हुये कहा कि नियम के अनुसार मुआवजा पूरा दिया गया है।
चीता की दहशत से नहीं जा रहे खेतों पर
चीता की गतिविधियों से ग्रामीणों में दहशत है। खेतों में खड़ी सूखी फसल को किसान काटने नहीं जा पा रहा है। चीता की गतिविधियां जंगल में ग्रामीणों के साथ-साथ वन कर्मचारियों द्वारा देखी गई है। ग्रामीणजन अपने घरों से बाहर निकलने में डर रहे हैं क्योंकि गांव से एक किलोमीटर की दूरी पर ही चीता की लोकेशन मिल रही है। पशु चरवाहों में सुरक्षा को लेकर चिंता बनी हुई है। चरवाहे पशुओं को लेकर जंगल में जाने से डर रहे हैं।