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मुरैना के त्रेतायुगीन शनि मंदिर में शुरू हुआ मेला, लंकादहन से जुड़ा है इतिहास
मुरैना। देश भर में आज शनिश्चरी अमावस्या मनाई जा रही है। इसी कड़ी में मुरैना के ऐंती पर्वत पर त्रेतायुगीन शनिमंदिर में उनके अभिषेक के साथ ही मध्यरात्रि से मेला शुरू हो गया है। देश भर के लोग अपने कष्टों एवं भगवान शनि की कृपा पाने बड़ी संख्या में यहां आ रहे हैं। मुरैना कलेक्टर बक्की कार्तिकेयन, पुलिस अधीक्षक सुनील पाण्डेय ने मध्यरात्रि भगवान शनिदेव की त्रेतायुगीन प्रतिमा का तेलाभिषेक किया। इस अवसर पर विशेष रूप से म.प्र. शासन के आयुक्त आयुष एमके अग्रवाल भी सपरिवार उपस्थित थे।
मंदिर का इतिहास -
मुरैना के ऐंती पर्वत पर त्रेतायुगीन शनिमंदिर है। ये प्रतिमा आसमान से टूट कर गिरे एक उल्कापिंड से निर्मित है। ज्योतिषी व खगोलविद मानते है कि शनि पर्वत पर निर्जन वन में स्थापित होने के कारण यह स्थान विशेष प्रभावशाली है। महाराष्ट्र के सिगनापुर शनि मंदिर में प्रतिष्ठित शनि शिला भी इसी शनि पर्वत से ले जाई गई है। माना जाता है कि लंकादहन के दौरान हनुमानजी ने लंका से भगवान शनिदेव को भारत भूमि के लिये प्रक्षेपित किया था। इस मंदिर का निर्माण राजा विक्रमादित्य ने कराकर प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा कराई थी। बाद में सिंधिया घराने के महाराज दौलत राव सिंधिया द्वारा इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया गया। अब इस मंदिर का प्रबंधन जिला प्रशासन द्वारा किया जाता है।
पूजन का महत्व -
मंदिर परिसर में एक कुंड है, जिसमें भक्तगण स्नान करने के बाद अपने पहने सभी वस्त्रों को त्याग देते हैं। मंदिर परिसर में शनिदेव के ठीक सामने ही हनुमान जी की मूर्ति भी स्थापित है। शनिश्चरी अमावस्या के दिन भगवान शनिदेव का जन्म हुआ था, इसलिए इस दिन का विशेष महत्व है। न्याय के देवता के दरबार में देश के लाखों श्रद्धालु अपनी मनोकामना लैकर आते हैं। इस दिन यहां विशाल मेला आयोजित होता है लेकिन कोरोना महामारी के कारण बीती दीपावली की शनिश्चरी अमावस्या पर मेले का आयोजन नहीं किया गया फिर भी हजारों श्रद्धालुओं ने शनिदेव मंदिर में पूजा अर्चना की थी।