अब चंबल के बीहड़ आढ़ेंगे धानी चूनर

अब चंबल के बीहड़ आढ़ेंगे धानी चूनर
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कृषि मंत्री तोमर के साथ बैठक में विश्व बैंक व मध्यप्रदेश ने दी सैद्धांतिक सहमति

मुरैना। सदियों से उपेक्षित बीहड़ों के दिन बहुरने की उम्मीद जागी है। चंबल के बड़े भू-भाग को जिन बीहड़ों ने बंजर बना दिया, अब वहां हरियाली नजर आएगी। केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर की पहल ने बीहड़ों के साए में पसरे गांवों में उम्मीद की रोशनी जगाई है।

इस सिलसिले में हुई एक उच्च स्तरीय बैठक में बीहड़ों में हरियाली लाने का खाका तय किया गया। उच्च स्तरीय बैठक शनिवार को केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण, ग्रामीण विकास तथा पंचायती राज मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की अध्यक्षता में वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए हुई। जिसमें विश्व बैंक व मध्यप्रदेश के वरिष्ठ अधिकारी एवं कृषि विशेषज्ञ शामिल हुए। इस परियोजना से बीहड़ क्षेत्र में खेती-किसानी तथा पर्यावरण में अत्यधिक सुधार होगा। साथ ही रोजगार के काफी अवसर पैदा होंगे। परियोजना पर सभी ने सैद्धांतिक सहमति जताई तथा प्रारंभिक रिपोर्ट महीनेभर में बनाना भी तय हुआ है। केंद्रीय मंत्री श्री तोमर ने प्रस्तावित परियोजना के माध्यम से बीहड़ क्षेत्र में कृषि का विस्तार करने, उत्पादकता बढ़ाने तथा वैल्यू चैन विकसित करने पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि चंबल क्षेत्र के लिए पूर्व में विश्व बैंक के सहयोग से बीहड़ विकास परियोजना प्रस्तावित थी पर विभिन्न कारणों से विश्व बैंक उस पर राजी नहीं हुआ। अब नए सिरे से इसकी शुरुआत की गई है, ताकि ग्वालियर-चंबल क्षेत्र के समग्र विकास का सपना हकीकत का रूप ले सकें।

देश का सबसे बड़ा जैविक क्षेत्र, सरप्लस राज्य बनाने का लक्ष्य

बैठक में म.प्र. के कृषि संचालक संजीव सिंह ने बताया कि म.प्र. में देश का सबसे ज्यादा जैविक क्षेत्रफल है, जिसे प्रोत्साहित करने की जरूरत है। परियोजना को मिशन मोड में लेकर अत्याधुनिक तकनीक के साथ काम करेंगे। गुणवत्तायुक्त बीजों के विकास तथा म.प्र. को इसमें संतोषजनक बनाने के साथ-साथ सरप्लस राज्य बनाने का भी उद्देश्य रहेगा। कृषि उत्पादन आयुक्त के.के. सिंह ने कहा कि पुरानी परियोजना को नए सिरे बनाया जाएगा। केंद्रीय कृषि मंत्रालय के संयुक्त सचिव विवेक अग्रवाल ने कहा कि शोध, तकनीक, इंफ्रास्ट्रक्चर, पूंजीगत लागत, निवेश आदि पर विचार किया जाएं। साथ ही छोटे एलोकेशन के साथ परियोजना का प्रारंभिक काम शुरू कर सकते है। विश्व बैंक के अधिकारी आदर्श कुमार ने कहा कि विश्व बैंक म.प्र. में काम करने की इच्छुक हैं। परियोजना से जुड़े जिलों में किस तरह से, कौन-सा निवेश हो सकता है, देखना होगा। राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विवि के कुलपति प्रो. एस.के. राव ने भी महत्वपूर्ण सुझाव दिए।

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