12वीं पास भी नहीं है उपचुनाव लड़ रहे 103 प्रत्याशी
वेबडेस्क। प्रदेश विधानसभा की 28 सीटों में 355 प्रत्याशी भाग्य आजमा रहे हैं। इनमें 53 वह आठवीं पास भी हैं, जो जीतने पर विधायक और मंत्री बन सकते हैं। जनता का प्रतिनिधि बनने के लिये गैर जरूरी शैक्षणिक योग्यता को यदि नजर अंदाज भी कर दिया जाए, तो जानकर आश्र्चय होगा कि डॉक्टरेट और स्नातकोत्तर डिग्रीधारियों के बजाय विधानसभा में पहुंचने की ललक 12वीं पास ने अधिक दिखाई है।
महत्वपूर्ण बात है कि 63 लाख से अधिक मतदाताओं के बीच जाने वाले प्रत्याशियों में उच्च शिक्षा प्राप्त आधा सैकड़ा भी नहीं है। कुल 355 उम्मीदवारों में स्नातकोत्तर जहां 47 में सिमट गई हैं, वहीं डॉक्टरेट डिग्री वालों की संख्या महज दो में पहुंचकर समाप्त हो गई है। इससे इतर अधिकतम शैक्षणिक स्तर 12वीं होने के बाद भी विधानसभा क्षेत्र में 70 अपनी अलग से दावेदारी जता रहे हैं। विधानसभा में पहुंचकर नियमन दायित्व संभालने की यह ललक स्नातक शैक्षणिक योग्यता रखने वाले व्यक्तियों में भी सामने नहीं आई है। जबकि 51 अपनी 10वीं पास शैक्षणिक योग्यता के साथ जनता के बीच पहुंच चुके हैं। यह बात दूसरी है कि विधायी व्यवस्था में दखल रखने की मंशा के साथ 29 युवा व्यावसायिक पाठ्यक्रम से स्नातक के बाद भी जनता के बीच पहुंचकर वोट मांगते हुए दिखाई दे रहे हैं।
8वीं पास सुमित्रा, लंदन में पढ़ी पारूल
28 विधानसभा क्षेत्रों में 355 अभ्यर्थियों में 22 महिला एवं 333 पुरूष अभ्यर्थी हैं। यदि इनके शैक्षणिक स्तर की बात की जाए, तो नेपानगर सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रही सुमित्रा देवी कास्डेकर जहां 8वीं पास हैं, वहीं कांग्रेस से सुरखी प्रत्याशी पारूल साहू लंदन से मास्टर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन हैं। जबकि डबरा से भाजपा प्रत्याशी इमरती देवी ने ओपेन स्कूल से हाईस्कूल पास करने का दावा किया है। वहीं कांग्रेस से बड़ा मलहरा प्रत्यासी राम सिया भारती ने अधिकतम शिक्षा के रूप में स्वयं की योग्यता आठवी बताई है।
शिवराज के मंत्रिमंडल में 7 मंत्री 5वीं से 12वीं पास
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के 34 मंत्रियों में 7 मंत्रियों ने अपनी योग्यताा 5वीं से 12वीं के बीच बताई है। जबकि महज 2 साक्षर मंत्री पहले से ही साथ हैं। इनमें 25 मंत्री ही ऐसे हैं, जिन्होंने अपनी योग्यता स्नातक और उससे अधिक बताई है। यहां महत्वपूर्ण है कि परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत और जलसंसाधन मंत्री तुलसी सिलावट का कार्यकाल 6 माह पूरा होने के बाद मंत्रिमंडल में सदस्यों की संख्या मुख्यमंत्री को मिलाकर 32 रह गई है। इन दोनो ने अपनी अधिकतम शैक्षणिक योग्यता स्नात्कोत्तर बताई है। वहीं दूसरी ओर सुरेश धाकड़ और प्रेम सिंह सिर्फ साक्षर हैं।