कांग्रेस का गेम प्लान, सत्रह सीटें ले आएं तो भी वापसी की उम्मीद
भोपाल। सत्ता में वापसी के लिए सिंधिया खेमे की सीटों पर कांग्रेस की खास नजर है। इसमें अधिकतर ग्वालियर-चंबल की है। 2018 के चुनाव में ग्वालियर-चंबल अंचल की 34 सीटों में से 26 कांग्रेस ने जीती थी, जो तब सरकार बनने में निर्णायक थीं। तब कांग्रेस की ओर से इन सीटों पर प्रत्याशी चयन से लेकर चुनाव प्रचार और उम्मीदवारों को जिताने की जिम्मेदारी सिंधिया ने संभाल रखी थी। पहली मर्तबा यहां चुनाव प्रचार की कमान कमलनाथ संभाल रहे हैं। उनके निशाने पर भाजपा के साथ सिंधिया भी हैं। वे सभाओं में कह रहे हैं कि यह उपचुनाव जनता पर सिंधिया ने ही थोपा है। जाहिर है, ये सीटें कमलनाथ के लिए भी प्रतिष्ठा से जुड़ी हुई हैं। जहां कमलनाथ ने मैदानी मोर्चा संभाल रखा है तो दिग्विजय इस बार बदली हुई भूमिका में जनसभाएं नहीं कर रहे हैं।
सिलावट, राजपूत को हराने पर जोर
सांवेर में भाजपा के तुलसीराम सिलावट के खिलाफ कांग्रेस ने पूर्व सांसद प्रेमचंद गुड्डू को उतारा है और पूर्व मंत्री जीतू पटवारी के साथ पूरी टीम झोंक दी है। सागर की सुरखी सीट से भाजपा उम्मीदवार गोविंद सिंह राजपूत को घेरने की रणनीति पर भी कांग्रेस आगे बढ़ गई है। यहां भाजपा की पूर्व विधायक पारुल साहू को प्रत्याशी बनाकर कांग्रेस ने मुकाबला रोचक कर दिया है।
कांग्रेस का गणित
कांग्रेस के पास वर्तमान में 88 विधायक हैं। अपने दम पर सत्ता में वापसी के लिए उसको सभी 28 सीटें जीतना होंगी। 105 के आंकड़े तक पहुंचती है तो भी बसपा के दो, सपा का एक, भाजपा के दो असंतुष्टों व निर्दलीयों का साथ लेकर पार्टी बहुमत तक पहुंचने की उम्मीद रख रही है।
प्लान : पहली बार 2.50 लाख पन्ना प्रमुख बनाए
- भाजपा से उतरे सिंधिया समर्थक पूर्व विधायकों के खिलाफ प्रत्येक विधानसभा में दो पूर्व मंत्री और एक विधायक को तैनात किया है। ये तीनों बूथ स्तर पर पहुंचकर कार्यकर्ताओं की बैठकें ले रहे हैं।
- पहली बार बूथ स्तर तक डेढ़ लाख कार्यकर्ताओं की टीम तैयार की है। यह टीम प्रत्येक बूथ स्तर पर बैठकें लेकर लोगों को बता रही है, किस तरह प्रदेश में कांग्रेस सरकार को गिराया गया।
- भाजपा के पन्ना प्रमुख की तर्ज पर प्रत्येक 20 वोटर पर एक कार्यकर्ता की तैनाती की है। ऐसे 2.50 लाख के करीब पन्ना प्रमुख हैं। इनकी जिम्मेदारी है, लोगों को मतदान केंद्र तक पहुंचाना और कांग्रेस के पक्ष में मतदान कराना।
- 19 सीटों में काम कर रहे नेताओं में से 87 को प्रदेश कांग्रेस में उपाध्यक्ष और महासचिव बनाया है। जिला और ब्लॉक स्तर पर भी एक हजार नियुक्तियां की हैं।
- अभा कांग्रेस कमेटी ने प्रत्येक सीट के लिए केंद्रीय पर्यवेक्षकों की टीम तैनात की है। ये जनता से फीडबैक लेकर पार्टी को बता रहे हैं कि जहां प्रत्याशी कमजोर हैं, वहां कैसे मजबूती लाई जा सकती है।