CG-Jharkhand Liquor Scam: झारखंड और छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में नया मोड़, EOW ने खोली बड़ी साजिश

CG-Jharkhand Liquor Scam : रायपुर। झारखंड में हुए शराब घोटाले की जांच अब छत्तीसगढ़ की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने तेज कर दी है। इस मामले में झारखंड सरकार के आईएएस अधिकारी विनय कुमार चौबे और उत्पाद विभाग के अधिकारी गजेंद्र सिंह के खिलाफ जांच की अनुमति मांगी गई है। यह घोटाला झारखंड और छत्तीसगढ़ के अधिकारियों के गठजोड़ से संबंधित है, जिसमें झारखंड की आबकारी नीति में बदलाव किया गया, जिसके कारण राज्य सरकार को भारी राजस्व का नुकसान हुआ।
रांची के अरगोड़ा थाना क्षेत्र के रहने वाले विकास सिंह ने इस घोटाले को लेकर शिकायत दर्ज कराई थी। उनका आरोप है कि झारखंड और छत्तीसगढ़ के अधिकारियों ने मिलकर शराब की अवैध बिक्री की। 2019 से 2022 तक सरकारी शराब दुकानों से डुप्लीकेट होलोग्राम लगाकर शराब बेची गई, जिससे राज्य सरकार को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ।
इस घोटाले के मुख्य आरोपियों में छत्तीसगढ़ और झारखंड के अधिकारी शामिल हैं। जब झारखंड में छत्तीसगढ़ मॉडल लागू किया गया, तो एक कंपनी को नकली होलोग्राम की आपूर्ति करने का ठेका दिया गया था। इस कंपनी की भूमिका पहले छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में भी उजागर हुई थी, जिसके बाद इसे झारखंड में ब्लैकलिस्ट कर दिया गया था।
ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) की जांच में भी कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। ईओडब्ल्यू द्वारा दर्ज प्राथमिकी के अनुसार, दिसंबर 2022 में झारखंड की शराब नीति में बदलाव किया गया था, जिसका आयोजन रायपुर में कारोबारी अनवर ढेबर के ठिकाने पर हुआ था। इस बैठक में झारखंड के उत्पाद अधिकारी भी शामिल थे। जांच के अनुसार, इस बदलाव का मुख्य उद्देश्य सुमीत कंपनी को फायदा पहुंचाना था, जो पहले छत्तीसगढ़ में शराब ठेके का काम करती थी।
अप्रैल 2023 में आईएएस अधिकारी विनय चौबे और के. सत्यार्थी ने ईडी के रायपुर कार्यालय में अपना बयान दर्ज कराया था। जांच में यह सामने आया कि भूपेश बघेल सरकार के दौरान छत्तीसगढ़ के अधिकारियों और व्यापारियों के एक अवैध सिंडिकेट ने शराब घोटाले को अंजाम दिया। इसमें सरकारी शराब दुकानों से नकली होलोग्राम लगाकर अवैध शराब बेची गई, जिससे राज्य को अरबों रुपये का नुकसान हुआ।
झारखंड में छत्तीसगढ़ मॉडल पर शराब की बिक्री मई 2022 से शुरू हुई थी। इस मॉडल में छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कारपोरेशन लिमिटेड के प्रबंध निदेशक एपी त्रिपाठी को सलाहकार नियुक्त किया गया था। शराब की बोतलों पर होलोग्राम लगाने का ठेका प्रिज्म होलोग्राम एंड फिल्म सिक्योरिटी लिमिटेड को दिया गया था। इसके अलावा मैन पावर सप्लाई का ठेका मेसर्स सुमित फैसिलिटीज लिमिटेड को दिया गया था। इन तीनों कंपनियों का नाम छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में भी शामिल है, और अब इन्हें झारखंड में भी जांच का सामना करना पड़ रहा है।
जांच में अब तक जो खुलासे हुए हैं, वे इस घोटाले की गंभीरता को दर्शाते हैं। छत्तीसगढ़ और झारखंड के अधिकारियों की मिलीभगत से हुए इस घोटाले ने सरकारी खजाने को भारी नुकसान पहुंचाया है।