अरविंद केजरीवाल ने अधिकारीयों को दिए निर्देश, उपराज्याल का आदेश ना मानें

अरविंद केजरीवाल ने अधिकारीयों को दिए निर्देश, उपराज्याल का आदेश ना मानें
भाजपा प्रवक्ता ने कहा है कि अरविंद केजरीवाल ने उपराज्यपाल से विवाद छेड़कर अराजकता का एक नया दौर प्रारंभ कर दिया है।

नईदिल्ली। केजरीवाल सरकार और दिल्ली के उपराज्यपाल के बीच टकराव की स्थिति अब चरम पर पहुंच गई है। दिल्ली सरकार ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे उपराज्यपाल से सीधे आदेश लेना बंद करें। इस बाबत सभी मंत्रियों ने अपने-अपने विभाग को भी पत्र भेजकर यह हिदायत दी है कि वह बिना मंत्री के निर्देश के उपराज्यपाल के आदेश को ना मानें।

दरअसल, गत कुछ महीनों के दौरान दिल्ली सरकार के महत्वपूर्ण फैसलों की फाइलों पर अंतिम निर्णय लेने के लिए उपराज्यपाल सीधे अधिकारियों से आदेश देकर वो फाइलें मंगवा लेते थे। उस पर सभी पहलुओं को ध्यान में देखने के बाद ही अंतिम निर्णय लेते थे। इसको लेकर पहले भी कई बार दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने ऐतराज जताते हुए उपराज्यपाल को पत्र लिखा था कि वह बिना चुनी हुई सरकार की जानकारी के अधिकारियों को सीधे कोई आदेश ना दें। इस दिशा में यह प्रैक्टिस रुकी नहीं और अब केजरीवाल सरकार ने सभी अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वह एलजी के आदेश को सीधा ना मानें।

ट्रांजेक्शन ऑफ बिजनेस रूल्स

सभी मंत्रियों ने अपने-अपने विभाग सचिव को दिए निर्देश दिया है कि ट्रांजेक्शन ऑफ बिजनेस रूल्स (टीबीआर) का कड़ाई से पालन करें। सचिवों को निर्देश दिया गया है कि उपराज्यपाल से दिए जाने वाले किसी भी सीधे आदेश को मंत्री को रिपोर्ट करें। दिल्ली सरकार का कहना है कि उपराज्यपाल संविधान और सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लंघन कर चुनी हुई सरकार को बाइपास कर सचिवों को सीधा आदेश जारी कर रहे हैं।

अराजकता का एक नया दौर

वहीं दिल्ली भाजपा प्रवक्ता प्रवीण शंकर कपूर ने कहा है कि दिल्ली में अरविंद केजरीवाल ने आज से उपराज्यपाल से विवाद छेड़कर अराजकता का एक नया दौर प्रारंभ कर दिया है। उन्होंने कहा है कि गत एक वर्ष में दिल्ली सरकार के अनेक भ्रष्टाचार के मामले और अनियमताएं उजागर हुए हैं और उसी से बौखलाई अरविन्द केजरीवाल सरकार अब अधिकारों की एक नई बहस छेड़कर अपने भ्रष्टाचार और कुशासन से जनता का ध्यान भटकाना चाह रही है।उनका कहना है कि यह स्पष्ट हो चुका है कि दिल्ली एक केन्द्रशासित प्रदेश है, जहां सेवाओं के मामले में उपराज्यपाल का आधिपत्य है और उपराज्यपाल को हर एक सरकारी फैसले या सरकारी प्रोजेक्ट का अवलोकन करने का अधिकार है। उपराज्यपाल सीधे अधिकारियों की बैठक बुला सकते हैं।

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