आतंकवाद, नक्सलवाद और उग्रवाद पर वार: अमित शाह ने संसद में गिनाईं सरकार की उपलब्धियां...

नई दिल्ली: गृह मंत्री अमित शाह ने 21 मार्च 2025 को राज्यसभा में मोदी सरकार के पिछले 10 वर्षों के प्रमुख कार्यों को गिनाते हुए कहा कि सरकार ने देश की सुरक्षा और विकास में बाधा डालने वाले तीन बड़े नासूरों को खत्म कर दिया है।
गृह मंत्री ने जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद, वामपंथी उग्रवाद और उत्तर-पूर्व में उग्रवाद को देश की स्थिरता और सुरक्षा के लिए सबसे बड़ी चुनौतियां बताया, जिन्हें मोदी सरकार ने कठोर नीतियों और निर्णायक कार्रवाई से समाप्त किया है।
तीन बड़े नासूर, जो देश की सुरक्षा के लिए खतरा बने थे
गृह मंत्री ने कहा कि 2014 में नरेंद्र मोदी सरकार के गठन के समय देश को कई जटिल चुनौतियां विरासत में मिली थीं। इनमें से तीन सबसे गंभीर समस्याएं थीं:
- जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद
- वामपंथी उग्रवाद (नक्सलवाद)
- उत्तर-पूर्व का उग्रवाद
अमित शाह ने कहा कि इन तीन समस्याओं ने पिछले चार दशकों से देश की सुरक्षा, विकास और सार्वभौमिकता को प्रभावित किया। इनसे न सिर्फ 92 हजार नागरिकों की जान गई, बल्कि भारत के विकास को भी अवरुद्ध किया गया।
#WATCH | Replying to the discussion on the working of MHA, in Rajya Sabha, HM Amit Shah says, "...When Narendra Modi Government was elected to power in 2014, we received several legacy issues from prior to 2014. The security and development of this country were always challenged… pic.twitter.com/Spfp4kTqSJ
— ANI (@ANI) March 21, 2025
कश्मीर में आतंकवाद पर नकेल:
गृह मंत्री ने जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के खात्मे को सरकार की बड़ी उपलब्धियों में से एक बताया। उन्होंने कहा कि पहले की सरकारें आतंकवाद पर चुप्पी साध लेती थीं, लेकिन मोदी सरकार ने आतंक के खिलाफ सख्त नीति अपनाई।
- अनुच्छेद 370 हटाने के बाद आतंकवाद में भारी गिरावट आई।
- पत्थरबाजी पूरी तरह खत्म हो गई और आतंकी घटनाओं में 80% की कमी आई।
- स्थानीय युवाओं को उग्रवाद से दूर कर मुख्यधारा में शामिल किया गया।
अमित शाह ने कहा, "आज कश्मीर में शांति है, पर्यटन बढ़ रहा है और निवेशक वहां उद्योग लगाने को तैयार हैं।"
#WATCH | Replying to the discussion on the working of MHA, in Rajya Sabha, HM Amit Shah says, "First of all, I will speak about Kashmir. Terrorists used to enter Kashmir from the neighbouring country, they used to execute bomb blasts and murders here. There was not one festival… pic.twitter.com/h2asfKeCsp
— ANI (@ANI) March 21, 2025
वामपंथी उग्रवाद पर प्रहार: नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या घटी
गृह मंत्री ने कहा कि वामपंथी उग्रवाद (नक्सलवाद) भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए सबसे बड़ी चुनौती था। पहले सरकारें इसे रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाती थीं, लेकिन मोदी सरकार ने इसे खत्म करने की दिशा में निर्णायक कदम उठाए।
- 2014 में जहां 96 जिले नक्सल प्रभावित थे, वहीं अब यह संख्या घटकर 46 रह गई है।
- सुरक्षाबलों की रणनीति और ऑपरेशनों से नक्सलवाद लगभग समाप्ति की ओर है।
- विकास कार्यों और बुनियादी सुविधाओं से प्रभावित क्षेत्रों में बदलाव आया।
उत्तर-पूर्व का उग्रवाद हुआ खत्म: शांति समझौतों से नई शुरुआत
उत्तर-पूर्व के राज्यों में उग्रवाद की समस्या वर्षों से बनी हुई थी, लेकिन मोदी सरकार ने वहां स्थायी समाधान के लिए कई शांति समझौतों पर हस्ताक्षर किए।
2014 से पहले हर साल 1,000 से अधिक उग्रवादी घटनाएं होती थीं, अब यह संख्या 200 से भी कम हो गई है।
आत्मसमर्पण करने वाले उग्रवादियों की संख्या बढ़ी, हजारों उग्रवादी मुख्यधारा में लौटे।
बोडो समझौता, ब्रू-रियांग समझौता और कार्बी आंगलोंग समझौते से शांति बहाल हुई।
अमित शाह ने कहा, "आज उत्तर-पूर्व का हर राज्य विकास की राह पर है, जहां पहले हिंसा का डर था, अब वहां निवेश आ रहा है।"
मोदी सरकार की आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति
गृह मंत्री ने कहा कि पहले की सरकारें आतंकवाद पर नरमी बरतती थीं, लेकिन मोदी सरकार ने इसे खत्म करने के लिए "घर में घुसकर मारने" की नीति अपनाई।
उरी और पुलवामा हमलों का बदला 10 दिनों के भीतर लिया गया।
सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक कर आतंकवादियों को घर में घुसकर मारा गया।
भारत अब अमेरिका और इजराइल की तरह अपने सैनिकों और नागरिकों की सुरक्षा में आक्रामक नीति अपनाता है।
अमित शाह ने कहा कि "पहले आतंकी हमले होते थे और सरकारें खामोश रहती थीं, लेकिन अब अगर कोई भारत पर हमला करेगा तो उसे मुंहतोड़ जवाब मिलेगा।"