निजीकरण के विरोध में बैंक कर्मियों ने शुरू की हड़ताल, किया प्रदर्शन, निकाला जुलूस
नईदिल्ली। यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन (यूएफबीयू) के आह्वान पर बैंकों के निजीकरण के विरोध में भारतीय स्टेट बैंक सहित सभी सरकारी बैंक कर्मी दो दिन की हड़ताल पर चले गए हैं। जिसके कारण अब तमाम सरकारी बैंक लगातार चार दिन तक बंद रहेंगे। गुरुवार और शुक्रवार को हड़ताल तथा उसके बाद शनिवार एवं रविवार को अवकाश रहने की सूचना मिलते ही बैंक आए ग्राहकों में निराशा छा गई है। चार दिन के बैंक बंदी से सिर्फ बेगूसराय जिला में दो सौ करोड़ से अधिक का व्यवसाय प्रभावित होने की आशंका है, वहीं एटीएम भी ठप हो सकता है। हड़ताल को लेकर गुरुवार को जिला मुख्यालय में स्टेट बैंक मुख्य शाखा सहित सभी बैंक के समक्ष कर्मियों ने जोरदार प्रदर्शन किया तथा जिला मुख्यालय में जुलूस भी निकाला।
एसोसिएशन के अधिकारियों ने बताया कि सरकार की जनविरोधी बैकिंग एवं आर्थिक नीतियों एवं सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण और उनमें विनिवेश के सरकार के फैसलों के विरोध में देश के दस लाख बैंक कर्मचारी और अधिकारी 16 एवं 17 दिसंबर को देशव्यापी हड़ताल पर गए हैं। यह हड़ताल आम जनता, किसानों, लघु बचतकर्ताओं, पेंशनभोगियों, छोटे एवं मध्यम आकार के उद्यमियों, व्यापारियों, स्वरोजगारियों, विद्यार्थियों, महिलाओं, पिछड़े वर्गों, बेरोजगारों और कर्मचारियों के रूप में देश की 95 प्रतिशत जनता के हितों की रक्षा के लिए है। क्योंकि बैंक निजीकरण का मतलब है ग्रामीण शाखाओं का बंद होना और बैंको का अधिक शहर उन्मुखीकरण।
सार्वजनिक बचत के लिए अधिक जोखिम, लघु बचत योजनओं पर ब्याज में कमी और सेवानिवृत, वरिष्ठ नागरिकों, पेंशन भोगियों की आय में, उनके जीवन यापन में कठिनाई। निजी करण से कृषि ऋणों में कमी होगी, छोटे एवं मध्यम आकार के उद्योगों और व्यापरियों को कम ऋण एवं ऋण लेने में कठिनाई होगी। विद्यार्थियों को शिक्षा ऋण लेने में काफी कठिनाई का सामना करना पड़ेगा। बुनियादी ढांचे एवं जनोन्मुखी विकास के लिए ऋणों में कमी होगी, जन सेवाओं का निजीकरण कॉरपोरेट्स एवं बड़े घरानों को सस्ता एवं अधिक ऋण बेरोजगार युवाओं के लिए रोजगार के कम अवसर पैदा होंगे। ग्राहकों के लिए अधिक सेवा शुल्क लगेगा, जनता की बचत पूंजी पर बड़े कॉरपोरेट घरानों का कब्जा होगा। आज दो दिन के हड़ताल पर जा रहे हैं, मांगे पूरी नहीं हुई तो अनिश्चितकालीन बंदी भी करेंगे।