सौगात-ए-मोदी' पर सियासी संग्राम!: रमजान के मौके पर बीजेपी की नई पहल, सौगात-ए-मोदी पर क्यों बवाल?

अनीता चौधरी, नई दिल्ली: रमजान का पवित्र महीना चल रहा है, ईद की तैयारियां जोरों पर हैं, और इसी बीच देश की सियासत में एक नया मुद्दा गरमाने लगा है। बीजेपी की अल्प संख्यक मोर्चा के नेतृत्व में मोदी सरकार की ये पालिसी रमजान के इस पवित्र महीने में मुस्लिम समुदाय के ग़रीब तबके के लोगो को ये ईद का तोहफा दिया जा रहा है।
बीजेपी के सौगत-ए-मोदी पर स्वदेश ने बीजेपी के राज्यसभा सांसद नरेश बंसल से खास बातचीत की, जिसमें बीजेपी की नई योजना 'सौगात-ए-मोदी' पर चर्चा हुई। यह योजना, जो रमजान और ईद के मौके पर लॉन्च की गई है, सियासी गलियारों में बहस का विषय बन गई है। जहां बीजेपी इसे सौहार्द और विकास का संदेश बता रही है, वहीं विपक्ष इसे चुनावी रणनीति करार दे रहा है।
'सौगात-ए-मोदी' का मकसद क्या?
इस बातचीत की शुरुआत में ही हमने सवाल उठाया कि रमजान और ईद के मौके पर बीजेपी की ओर से 'सौगात-ए-मोदी' योजना क्यों लाई गई ? जवाब में नरेश बंसल ने कहा, "हमारी पार्टी का अल्पसंख्यक मोर्चा सक्रियता से काम करता है। इसके राष्ट्रीय अध्यक्ष खुद मुस्लिम समुदाय से हैं। रमजान और ईद के इस खास मौके पर अगर हम अपने समाज के लोगों तक सौहार्द का संदेश पहुंचाते हैं, और वह भी पीएम मोदी की सौगात के रूप में, तो यह एक प्रशंसनीय कदम है। जिन तक यह पहुंचेगा, वे भी इसका स्वागत करेंगे।"
विपक्ष का हमला: चुनावी प्रोपेगेंडा या सच्चाई?
इस खास बात चीत में विपक्ष के आरोपों को सामने रखते हुए जब हमने पूछा कि बिहार चुनाव नजदीक हैं, और विपक्ष इसे मुस्लिम समुदाय को लुभाने की चुनावी चाल बता रहा है। नरेश बंसल का इस पर जवाब था कि , "विपक्ष को अब यह डर सताने लगा है कि पीएम मोदी के 11 साल के कार्यकाल में 'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास' के सूत्र ने जो कमाल दिखाया है, उससे अल्पसंख्यक समुदाय उनका खेल समझने लगा है। 75 साल तक विपक्ष ने तुष्टीकरण की नीति अपनाकर वोट बैंक की राजनीति की, लेकिन अब यह खेल खत्म होने की कगार पर है।"
चिराग पासवान की टिप्पणी और बीजेपी का जवाब
बीजेपी की सहयोगी पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के नेता चिराग पासवान ने 'सौगात-ए-मोदी' की तारीफ तो की, लेकिन यह भी कहा कि इससे मुस्लिम समुदाय का दिल नहीं जीता जा सकता और यह वोट में तब्दील नहीं होगा। इस पर नरेश बंसल ने कहा, "हमारा मकसद संतुष्टि सबकी है, तुष्टीकरण किसी का नहीं। पीएम आवास योजना हो, जन आरोग्य योजना हो, मुफ्त राशन हो या गैस कनेक्शन—हमारी हर योजना में सभी वर्गों को बराबर लाभ मिला है। खासकर मुस्लिम समुदाय ने इनका भरपूर फायदा उठाया है। चिराग की बात उनके राजनीतिक नजरिए से हो सकती है, लेकिन तथ्य यही है कि हम भेदभाव नहीं करते।"
पहली बार आई योजना, क्या होगा असर?
इस सवाल पर कि यह योजना इतने साल के कार्यकाल में ईद के मौके पर यह पहली बार है जब 'सौगात-ए-मोदी' जैसी योजना लाई गई है। नरेश बंसल ने जवाब था कि , "हर नई शुरुआत पहली बार ही होती है। अगर इसके सामाजिक परिणाम सकारात्मक रहे, तो यह आगे भी जारी रहेगी।"
क्या बीजेपी जीत पाएगी मुस्लिम दिल?
इस अहम सवाल पर कि क्या बीजेपी और नरेंद्र मोदी मुस्लिम समुदाय के दिल पर राज कर पाएंगे ? नरेश बंसल ने आत्मविश्वास के साथ कहा, "हम हर दिल पर राज करना चाहते हैं, लेकिन उसे हिंदू, मुस्लिम, सिख या ईसाई में नहीं बांटते। पीएम मोदी और बीजेपी देश के 140 करोड़ लोगों के दिलों में बसते हैं।"
तेलंगाना और कर्नाटक पर पलटवार
तेलंगाना सरकार द्वारा रोजा इफ्तार पर 150 करोड़ रुपये खर्च करने पर नरेश बंसल ने विपक्ष को आड़े हाथों लिया और कहा कि वो ख़ुद वोट बैंक की भूख और तुष्टिकरण की राजनीति में राजस्व लूटते हैं और हमारे नेक कार्य के लिए फिर हम पर ही सवाल क्यों उठा रहे हैं? वोट की राजनीति तो वे कर रहे हैं।" कर्नाटक की कांग्रेस सरकार पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा, "ठेकों में 4 फीसदी आरक्षण देना संविधान के खिलाफ है। यह क्या वोट बैंक की राजनीति नहीं?"
सदन में अनर्गल बयानबाजी पर चिंता
अंत में, ने टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी के उस बयान पर भी बात -छेड़ हुई जिसमें उन्होंने केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह के लिए अमर्यादित भाषा का इस्तेमाल किया था ।दरअसल टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने सदन में ही केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान को 'दलाल' कहा। नरेश बंसल ने इसे लोकतंत्र के लिए अस्वीकार्य बताते हुए कहा, "ऐसी भाषा की कोई जगह नहीं है। कल्याण बनर्जी शायद ममता बनर्जी के सामने अंक पाने के लिए ऐसा करते हैं। उन्हें इसके लिए माफी मांगनी चाहिए।"
रमजान की सौगात: बीजेपी का सियासी दांव या विकास की नई उम्मीद?
'उल्लेखनीय है की “सौगात-ए-मोदी' योजना को लेकर बीजेपी जहां इसे सौहार्द और विकास का प्रतीक बता रही है, वहीं विपक्ष इसे चुनावी हथकंडा करार दे रहा है। नरेश बंसल के जवाबों से साफ है कि बीजेपी इस बहस को अपने पक्ष में मोड़ने की पूरी कोशिश कर रही है। अब यह देखना बाकी है कि रमजान और ईद के मौके पर शुरू हुई यह सौगात सियासी समीकरणों को कितना प्रभावित करती है।