Bulldozer जस्टिस पर फैसला: अवैध तरीके से बुलडोजर चलाने पर अधिकारियों को अपनी जेब से करनी होगी भरपाई - सुप्रीम कोर्ट ने जारी किए निर्देश
अवैध तरीके से बुलडोजर चलाने पर अधिकारियों को अपनी जेब से करनी होगी भरपाई - सुप्रीम कोर्ट ने जारी किए निर्देश
(Judgement on Bulldozer Justice) बुलडोजर जस्टिस पर फैसला : नई दिल्ली। बुलडोजर जस्टिस के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। इस फैसले में अदालत ने स्पष्ट कर दिया है कि, राज्य, न्यायपालिका के कार्यों पर अतिक्रमण नहीं कर सकता। शक्ति के बंटवारे के मूल सिद्धांत को ध्यान में रखते हुए अदालत ने देश में कहीं भी बुलडोजर चलाए जाने के खिलाफ फैसला सुनाया है। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने फैसला सुनाने के साथ - साथ अनुच्छेद 142 के तहत निर्देश भी जारी किए गए हैं।
अदालत द्वारा जारी दिशा - निर्देशों में कई महत्वपूर्ण बातों का जिक्र है। इनमें से सबसे क्रांतिकारी है अवैध तरीके से बुलडोजर चलाने वाले अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई। अदालत ने न केवल ऐसा करने वाले अधिकारियों के खिलाफ एक्शन लेने की बात कही है बल्कि यह भी कहा है कि, अगर गलत तरीके से किसी का घर गिराया गया तो उस अधिकारी को अपनी जेब से नुकसान की भरपाई करनी होगी।
न्यायमूर्ति बीआर गवई ने इन निर्देशों के बारे में बताया है :
1. यदि विध्वंस का आदेश पारित किया जाता है, तो इस आदेश के खिलाफ अपील करने के लिए समय दिया जाना चाहिए।
2. अपील के लिए समय दिए बिना रातोंरात विध्वंस के बाद महिलाओं और बच्चों को सड़कों पर देखना सुखद दृश्य नहीं है।
3. सड़क, नदी तटों आदि पर अवैध संरचनाओं को प्रभावित नहीं करने के निर्देश। आसान शब्दों में यह निर्देश अवैध संरंचना पर लागू नहीं होंगे।
4. कारण बताओ नोटिस के बिना कोई विध्वंस नहीं।
5. मालिक को पंजीकृत डाक से नोटिस और संरचना के बाहर नोटिस चिपकाया जाना चाहिए।
6. नोटिस की तारीख से 15 दिनों का समय नोटिस की सेवा के बाद है।
7. इसकी सेवा के बाद कलेक्टर और जिला मजिस्ट्रेट द्वारा सूचना भेजी जाती है। 8. कलेक्टर और डीएम नगरपालिका भवनों के विध्वंस आदि के प्रभारी नोडल अधिकारियों को नियुक्त करें।
9. नोटिस में उल्लंघन की प्रकृति, जिस तारीख को व्यक्तिगत सुनवाई तय की गई है और जिसे यह तय किया गया है, निर्दिष्ट डिजिटल पोर्टल प्रदान किया जाना चाहिए जहां नोटिस और उसमें पारित आदेश का विवरण उपलब्ध है। उसे यह उत्तर देना चाहिए कि क्या अनधिकृत संरचना समझौता योग्य है और यदि केवल एक हिस्सा समझौता योग्य नहीं पाया जाता है और यह पता लगाना है कि विध्वंस ही एकमात्र उत्तर क्यों है।
11. आदेश डिजिटल पोर्टल पर प्रदर्शित किया जाएगा।
12. आदेश के 15 दिनों के भीतर मालिक को अनधिकृत संरचना को ध्वस्त करने या हटाने का अवसर दिया जाएगा और केवल अगर अपीलीय निकाय ने आदेश पर रोक नहीं लगाई है, तो विध्वंस के कदम उठाए जाएंगे
13. विध्वंस की कार्यवाही की वीडियोग्राफी की जाएगी। वीडियो को संरक्षित किया जाना चाहिए। उक्त विध्वंस रिपोर्ट नगर आयुक्त को भेजी जानी चाहिए।
14. सभी निर्देशों का पालन किया जाना चाहिए और इन निर्देशों का पालन नहीं करने पर अवमानना की कार्रवाई की जा सकती है। इसके अलावा अधिकारियों को मुआवजे के साथ ध्वस्त संपत्ति को अपनी लागत पर बहाल करने के लिए उत्तरदायी ठहराया जाएगा।
15. सभी मुख्य सचिवों को निर्देश दिए जाने चाहिए।