Liquor Scam CAG Report: शराब घोटाले पर सीएजी रिपोर्ट, नई आबकारी नीति से 2,000 करोड़ का नुकसान, मनीष सिसोदिया ने नहीं मानी सिफारिशें

Liquor Scam CAG Report
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Liquor Scam CAG Report : दिल्ली की सीएम रेखा गुप्ता ने आबकारी नीति 2024 (नई शराब नीति घोटाले) पर सीएजी रिपोर्ट सदन में पेश कर दी है। मंगलवार को विधानसभा में पेश की गई कैग रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली सरकार को 2021-2022 की आबकारी नीति के कारण 2,000 करोड़ रुपये से अधिक का संचयी नुकसान हुआ है। नुकसान का कारण कमजोर नीतिगत ढांचे से लेकर अपर्याप्त कार्यान्वयन तक कई कारण हैं।

यह रिपोर्ट, पिछली आम आदमी पार्टी सरकार के कार्यकाल पर 14 में से एक है, जिसे नई रेखा गुप्ता के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा पेश किया गया है। रिपोर्ट में लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया में उल्लंघनों को भी चिह्नित किया गया है।

मनीष सिसोदिया ने नजरअंदाज कर दी थी सिफारिशें :

कैग रिपोर्ट में बताया गया है कि, 'अब समाप्त हो चुकी नीति के गठन के लिए बदलाव सुझाने के लिए गठित एक विशेषज्ञ पैनल की सिफारिशों को तत्कालीन उपमुख्यमंत्री और आबकारी मंत्री मनीष सिसोदिया ने नजरअंदाज कर दिया था।'

चुनावों से पहले यह एक गर्म मुद्दा था। कथित शराब घोटाले पर रिपोर्ट में 941.53 करोड़ रुपये के राजस्व के नुकसान का दावा किया गया था, जिसमें कहा गया था कि "गैर-अनुरूप नगरपालिका वार्डों" में शराब की दुकानें खोलने के लिए समय पर अनुमति नहीं ली गई थी।

दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने कहा, "यह जानकर आश्चर्य हुआ कि 2017-18 के बाद सीएजी रिपोर्ट विधानसभा में पेश नहीं की गई है। इस संबंध में तत्कालीन विपक्ष के नेता यानी मैंने और पांच अन्य विपक्षी नेताओं ने राष्ट्रपति, विधानसभा अध्यक्ष, सीएम और मुख्य सचिव से रिपोर्ट पेश करने का अनुरोध किया था। राज्य की वित्तीय स्थिति जानने के लिए इसकी बहुत आवश्यकता थी। दुर्भाग्य से सीएजी रिपोर्ट सदन में पेश नहीं की गई और पिछली सरकार ने संविधान का उल्लंघन किया।"

दिल्ली शराब घोटाले पर CAG रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु :

-राजस्व हानि - 2,002.68 करोड़ रुपए

-लाइसेंसिंग नियमों का उल्लंघन - दिल्ली आबकारी नियम, 2010 (नियम 35) को लागू नहीं किया गया।

-थोक विक्रेताओं के लाभ मार्जिन में वृद्धि - गुणवत्ता नियंत्रण प्रयोगशालाओं की आवश्यकता का हवाला देते हुए मार्जिन को 5% से बढ़ाकर 12% कर दिया गया।

-लाइसेंस धारकों का कमज़ोर सत्यापन - लाइसेंस जारी करने से पहले वित्तीय स्थिति, संपत्ति या आपराधिक रिकॉर्ड की कोई उचित जाँच नहीं की गई।

-विशेषज्ञों की सिफारिशों की अनदेखी - AAP सरकार ने 2021-22 की आबकारी नीति में विशेषज्ञ समिति के सुझावों की अनदेखी की।

-पारदर्शिता की कमी और शराब की तस्करी - शराब की दुकानों के स्वामित्व की सीमा 2 से बढ़कर 54 हो गई, जिससे बड़े खिलाड़ियों को फ़ायदा हुआ।

-एकाधिकार और ब्रांड पक्षपात - निर्माताओं को एक ही थोक विक्रेता के साथ काम करने के लिए मजबूर किया गया, जिससे प्रतिस्पर्धा सीमित हो गई। तीन थोक विक्रेताओं (इंडोस्पिरिट, महादेव लिकर, ब्रिंडको) ने आपूर्ति का 71% नियंत्रित किया।

-कैबिनेट प्रक्रियाओं का उल्लंघन - कैबिनेट की मंज़ूरी के बिना बड़ी छूट दी गई।

-अवैध शराब की दुकानें - एमसीडी और डीडीए की मंज़ूरी के बिना रिहायशी इलाकों में दुकानें खोली गईं।

-शराब की कीमतों में हेरफेर - एल1 लाइसेंस धारकों को एक्स-डिस्टिलरी कीमतें (ईडीपी) निर्धारित करने की अनुमति दी गई, जिससे कीमतों में कृत्रिम रूप से वृद्धि हुई।

-शराब की गुणवत्ता जांच में समझौता - शराब तस्करी पर लगाम लगाने में विफलता: आबकारी खुफिया ब्यूरो (ईआईबी) निवारक उपाय करने में विफल रहा। जब्त की गई शराब का 65% हिस्सा देशी था, फिर भी कोई सख्त कार्रवाई नहीं की गई।

-खराब डेटा प्रबंधन अवैध व्यापार को बढ़ावा दे रहा है - आबकारी विभाग ने रिकॉर्ड अव्यवस्थित कर रखे थे, जिससे ट्रैकिंग मुश्किल हो गई थी।

-उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं - AAP सरकार ने आबकारी कानूनों का उल्लंघन करने वाले लाइसेंस धारकों को दंडित नहीं किया। सिक्योरिटी लेबल प्रोजेक्ट की विफलता और पुरानी तकनीक का उपयोग किया गया।

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