कांग्रेस के स्थापना दिवस पर नागपुर में चुनावी रैली की तैयारी

कांग्रेस के स्थापना दिवस पर नागपुर में चुनावी रैली की तैयारी
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अनिता चौधरी

'नागपुर से चलती है केंद्र सरकार'

ये बयान तो आपने कॉंग्रेस के लगभग सभी नताओं के मुख से सुना होगा ! राहुल गांधी ने लगभग अपने सभी प्रेसवार्ता की शुरुआत या समापन ही इसी लाइन से की है। लेकिन अब कॉंग्रेस भी नागपूर को अपना गढ़ बनाना चाहती है। कॉंग्रेस पार्टी ने अपने स्थापना दिवस पर 28 दिसंबर को नागपूर में शक्तिप्रदर्शन करने का ऐलान किया है। इस बात की जानकारी पार्टी के महासचिव के. सी. वेणुगोपाल ने दी है। के सी वेणुगोपाल ने कहा है कि इस अवसर पर नागपूर में एक रैली भी निकाली जाएगी जिसमें दस लाख से अधिक लोगों के भाग लेने की संभावना है और इस रैली को पार्टी के मौजूदा अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़गे के अलावा कॉंग्रेस पार्टी के दो पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी संबोधित करेंगे। के सी वेणुगोपाल ने कहा है कि प्रियंका गांधी भी 10 लाख की इस भीड़ को संबोधित करेंगी। नागपुर में तैयारियों का जायजा लेने के लिए पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल शुक्रवार को नागपुर में ही रहे। आपको बता दें कि पहले इस कार्यक्रम का स्थान मुंबई तय हुआ था। लेकिन सूत्र बता रहे हैं कि कॉंग्रेस पार्टी ने अभी हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में तीन राज्यों में हुए शिकस्त के बाद अपने फैसले में बदलाव करते हुए स्थान परिवर्तन किया है और अब स्थापना दिवस की रैली मुंबई के बजाए नागपूर में होना तय हुआ है। कॉंग्रेस के इस फैसले को राजनीतिक परिपेक्ष्य में एक लाइन में समझना चाहें तो कॉंग्रेस लोकसभा चुनाव का बिगुल आरएसएस के गढ़ से बजाना चाहती है।

ऐसे में सवाल ये उठता है कि कॉंग्रेस की ये रैली क्या 2024 के चुनाव में जीत के लिए हुकूम का इक्का साबित होगा या बीजेपी मतलब आरएसएस कहने वली कॉंग्रेस के लिए इस पिच पर जा कर बैटिंग करना क्लीन बोल्ड जैसा रहेगा। क्योंकि बीजेपी के मैडन में आकर कॉंग्रेस सॉफ्ट हिन्दुत्व के नाम पर कई कोशिश कर चुकी है लेकिन ढाक के तीन पात ही हाथ लगे। चुनाव के दौरान सीजनल हिन्दू बनकर मंदिर मैराथन वाला फार्मूला भी अब तक फेल ही नजर आया है । अब ऐसे में नागपूर का लिटमस टेस्ट कितना सकारात्मक रहेगा ये तो वक्त बताएगा। ऐसा नहीं है कि नागपुर कॉंग्रेस के लिए नई जगह है। कॉंग्रेस का पहला अधिवेशन नागपुर में ही हुआ था। कॉंग्रेस के अध्यक्ष चुनने में डॉ हेडगेवर की महत्वपूर्ण भूमिका रही थी। ऐसे में अब ये समझने की कोशिश करते हैं कि आखिर कॉंग्रेस क्यों ऐसा कर रही है। दरअसल कांग्रेस की स्थापना 1885 में मंबई में हुई थी। इसलिए पार्टी के सभी नेता पहले मुंबई में ही स्थापना दिवस पर एक बड़ी रैली का आयोजन करने जा रहे थे। लेकिन अब नागपुर का चयन किया है। कॉंग्रेस पार्टी नागपुर में होने वाले इस कार्यक्रम की वजह कर्नाटक, तेलंगाना, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के भौगोलिक स्थिति बताई जा रही है क्योंकि कार्यक्रम स्थल पर पहुंचना कार्यकर्ताओं के लिए आसान रहेगा। लेकिन इसके राजनीतिक परपेक्ष्य को अगर देखें तो कांग्रेस इस रैली के माध्यम से 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव का बिगुल भी फूंकना चाहती है। इस रैली से पहले 19 दिसंबर को इंडिया गठबंधन की बैठक भी होनी है। लेकिन पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि यह कांग्रेस पार्टी का औपचारिक कार्यक्रम है, इसलिए इसे लोकसभा चुनाव से जोड़ कर देखना ठीक नहीं होगा। महाराष्ट्र प्रभारी आशीष दुआ का कहना है कि आरएसएस और भाजपा को बताने की जरूरत है कि उनकी लाख कोशिशों के बावजूद देश कांग्रेस मुक्त नहीं हुआ है। हम शिवसेना और एनसीपी के साथ मिलकर भाजपा का मुकाबला करेंगे। महाराष्ट्र में लोकसभा की 48 सीटें हैं और हमारा गठबंधन अधिकांश सीटें जीतेगा। भाजपा ने भले ही शिवसेना और एनसीपी में टूट-फूट करवा दी हो पर आमलोग अभी भी उद्धव ठाकरे और शरद पवार के साथ खड़े हैं। आरएसएस और भाजपा के खिलाफ हमारा वैचारिक संघर्ष जारी रहेगा।

यही ही नहीं कॉंग्रेस को नागपूर से इतनी नफरत हो गई कि जब कॉंग्रेस के दिग्गज नेता और इस देश के पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी मुख्य अतिथि के तौर पर नागपूर के आरएसएस मुख्यालय जाते हैं तो कॉंग्रेस पार्टी के सभी छोटे-बड़े नेता उन पर तल्ख टिप्पणी करते हैं और पानी पी पी कर उन्हें भला- बुरा कहते रहे। इस रेस में कॉंग्रेस नेता और उनकी बेटी शर्मिष्ठा भी शामिल हो गईं थीं। राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के उस वक्त के बयान अगर सुनें तो प्रणव दा को ये कहते साफ सुन सकते हैं कि डॉ हेडगेवर माँ भारती के लाल थे और कॉंग्रेस के अध्यक्ष पद का चुनाव करने में डॉ हेडगेवर की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।

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