ऑक्सीजन, दवाइयों की जमाखोरी मामले में हुई सुनवाई, पुलिस ने नेताओं को दी क्लीनचिट
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नईदिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने आज सोमवार को दवाइयों की जमाखोरी मामले में सुनवाई की। हाईकोर्ट ने सुनवाईक के दौरान सख्त टिप्पणी करते हुए कहा - राजनेताओं को दवा एकत्र करने का अधिकार नहीं है। वे इसे डायरेक्टर जनरल हेल्थ के पास जमा कराएं, ताकि जरूरतमंद लोगों को मिल सकें। कोर्ट ने कहा की नेताओं ने माहमारी को गुडविल का जरिया बना लिया है।'कोर्ट ने 4 मई को दिल्ली पुलिस को स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था।
दिल्ली पुलिस ने हाईकोर्ट में दाखिल अपनी प्राथमिक स्टेटस रिपोर्ट में राजनेताओं को ऑक्सीजन और कोरोना के इलाज के लिए जरूरी दवाओं की कथित जमाखोरी के आरोपों से क्लीन चिट दे दी है। दिल्ली पुलिस ने जिन लोगों को क्लीन चिट दी है उनमें सांसद गौतम गंभीर, कांग्रेस नेता बीवी श्रीनिवास, आप नेता दिलीप पांडेय, भाजपा नेता हरीश खुराना, पूर्व विधायक मुकेश शर्मा, दिल्ली कांग्रेस के अध्यक्ष अनिल कुमार, दिल्ली कांग्रेस के उपाध्यक्ष अली मेंहदी और दिल्ली कांग्रेस के नेता अशोक बघेल शामिल हैं।
पुलिस ने मांगा समय -
दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच के एसीपी मनोज दीक्षित ने स्टेटस रिपोर्ट दाखिल कर कहा कि इन सभी लोगों ने कोरोना संक्रमित लोगों की मदद की है और किसी भी व्यक्ति को मदद करने की एवज में पैसे की मांग नहीं की है और न ही किसी के साथ फर्जीवाड़ा किया। पुलिस ने इन नेताओं को लेकर विस्तृत स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने के लिए हाईकोर्ट से समय देने की मांग की है।
ह्रदय फाउंडेशन ने लगाई याचिका -
ह्रदय फाउंडेशन की ओर से डॉक्टर दीपक सिंह ने दाखिल याचिका में कहा था कि जमाखोरी करने की वजह से आम लोगों को इन दवाइयों से वंचित होना पड़ रहा है। याचिकाकर्ता की ओर से वकील गौरव पाठक ने इस मामले की सीबीआई जांच की मांग की है। याचिका में कहा गया है कि कोरोना के इस गंभीर संकट में राजनेताओं और मेडिकल माफिया के बीच गठजोड़ बन गया है। याचिका में ऐसे नेताओं को राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत गिरफ्तार करने की मांग की गई है।