आयुर्वेद पर भ्रामक खबरों पर सरकार ने मीडिया को किया आगाह
नईदिल्ली, 19 मार्च। आयुर्वेद को भारतीय परंपरागत चिकित्सा पद्धिति को बदनाम करने वाली भ्रामक ख़बरों को प्रसारित करने वाले अख़बारों और मीडिया को आयुष मंत्रालय ने आगाह किया है। दरअसल एक आयुर्वेदिक डॉक्टर की एक पर्सनल सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर एक अंग्रेजी के अख़बार ने पूरी आयुर्वेद चिकित्सा पर ही सवाल खड़े करने की कोशिश की थी। इससे पहले भी अंग्रेजी मीडिया में गिलोय को बदनाम करने के लिए भी एक बड़ी मुहिम चलाई थी।
आयुष मंत्रालय ने एक अंग्रेजी अख़बार इंडियन एक्सप्रेस की एक ख़बर पर फेक्ट चेक में अख़बार को सार्वजनिक तौर पर लिखा है कि वो एक व्यक्ति विशेष की सोशल मीडिया पोस्ट को पूरी आयुर्वेद के साथ ना जोड़े। आयुष मंत्रालय किसी भी चिकित्सा को लेकर किसी के पर्सनल सोशल मीडिया अकाउंट को एंडोर्स नहीं करता है। साथ ही बिना आयुष के एक्सपर्ट या अथॉरिटी से बात करें, इस तरह से पूरे आयुर्वेद पर सवाल खड़े करने से बचना चाहिए। मंत्रालय ने कहा है कि माइग्रेन पर आयुर्वेद में बहुत सारी चिकित्सा हैं और माइग्रेन में आयुर्वेद के प्रभावी होने पर बहुत सारी स्टडीज पब्लिश भी हो चुकी है। खानपान आयुर्वेद में बहुत महत्वपूर्ण है और इसकी पर्सनलाइज़ अप्रोच भी है।
दरअसल एक वैद्य मिहिर खत्री ने सुबह के समय रबड़ी जलेबी खाने से माइग्रेन में फायदा वाला एक सोशल मीडिया पोस्ट किया था। इसको लेकर इस अंग्रेजी अख़बार ने एलोपैथी डॉक्टर्स से बात कर पूरी आयुर्वेद को ही कटघरे में खड़ा कर दिया। इसपर आयुष विशेषज्ञ और सोनीपत के खानपुर कलां आयुर्वेदिक कॉलेज के प्रिंसिपल प्रो. महेश दधिचि ने बताया कि आयुर्वेद को बदनाम करने के लिए लंबे समय से प्रयास चल रहे हैं, इससे पहले भी गिलोय को बदनाम किया गया था। आयुर्वेद में बहुत सारी बातों को रिसर्च कर सामने रखने में समय लगेगा, आयुर्वेद में इतने सूत्र और ग्रंथ लिखे हैं कि उनको सामने आने में समय लगेगा। आयुर्वेद में खानपान का बहुत महत्व है, मन स्थिति का महत्व है, लेकिन फार्मा लॉबी आयुर्वेद कि खिलाफ लगातार प्रोपगंडा फैलाती रहती है। अगर गिलोय खाकर या घरेलू जड़ीबुटियों से लोग ठीक हो गए तो बड़ी बड़ी फार्मा इंडस्ट्री का क्या होगा?