कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर बोले - देश के लिए नया नहीं है मिलेट्स
नईदिल्ली/वेब डेस्क। केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि मोटा अनाज (मिलेट्स) हमारे लिए नया नहीं है। देश में प्राचीनकाल से ही मोटे अनाज का चलन रहा है। तोमर ने गुरुवार को भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) की ओर से आयोजित ''पूसा कृषि विज्ञान मेला'' के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि रागी, ज्वार, बाजरा, सांवा, कंगनी, कोदो, कुटकी, कट्टु आदि अनाज से हमारे भोजन की थाली सजती रही लेकिन इन पोषक अनाज (Indian Millets) को गरीबों का आहार बताकर अचानक हमारी थाली से गायब कर दिया गया। जबकि इन अनाजों में भरपूर पोषक तत्व हैं।
तोमर ने कहा कि मोदी सरकार ने मोटे अनाज के उपयोग, उत्पादन और निर्यात के लिए पहल की है। पीएम मोदी की पहल पर इस वर्ष को मोटे अनाज का वर्ष घोषित किया गया है। ऐसे में यह समय देश के किसानों, कृषि वैज्ञानिक के लिए चुनौती के साथ-साथ एक अवसर है। हमें अन्न के उत्पादन के साथ-साथ मोटे अनाज (Indian Millets) के उत्पादन,उपभोग और निर्यात में अव्वल बनना होगा। इस दिशा में हमें संयुक्त रूप से काम करना होगा।
उल्लेखनीय है कि आज से ''पूसा कृषि विज्ञान मेला'' की शुरुआत हुई है। यह मेला चार मार्च तक चलेगा। मेले का शुभारंभ केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किया। इस बार मेले का थीम “श्री अन्न द्वारा पोषण, खाद्य एवं पर्यावरण सुरक्षा” रखा गया है।
आईएआरआई के निदेशक डा. ए.के. सिंह ने अपने बयान में कहा कि इस वर्ष मेले के मुख्य आकर्षण हैं कृषि में महत्वपूर्ण व सम-सामयिक मुद्दों पर तकनीकी सत्र, अंतर्राष्ट्रीय श्री अन्न वर्ष के अंतर्गत श्री अन्न आधारित मूल्य श्रंखला का विकास, स्मार्ट खेती/ संरक्षित खेती मॉडल, जलवायु अनुकूल एवं संपोषक कृषि, कृषि विपणन एवं निर्यात, किसानों के नवाचार–संभावनाएं एवं समस्याएं, किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ)–स्टार्टअप लिंकेज।
सिंह ने कहा कि प्रमुख तकनीकों की विषयगत प्रदर्शनियां भी लगाई गई हैं, वहीं शोध संस्थानों, स्टार्टअप व उद्यमियों के स्टॉल भी हैं। श्री अन्न आधारित स्टॉल से विभिन्न प्रकार के श्री अन्न, उनकी खेती पद्धतियों, मूल्यवर्धन और पोषण संबंधी महत्व के बारे में शिक्षित किया जा रहा है। भारतीय मिलेट अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद के साथ ही वी.पी.के.ए.एस अल्मोड़ा, काजरी, जोधपुर और एस.के.एन कृषि विश्वविद्यालय जोबनेर, जो श्री अन्न संबंधित अनुसंधान से जुड़े हैं, वे भी मेले में भाग ले रहे हैं। कृषि-स्टार्टअप, विशेष रूप से श्री अन्न आधारित स्टार्टअप अपने स्टॉल लगा रहे हैं।
मेले में गेहूं, सरसों, चना, सब्जियों, फूलों और फलों की महत्वपूर्ण किस्मों (Indian Millets) का जीवंत प्रदर्शन किया जा रहा है।