नई दिल्ली: NCRB कर सकता है कैदियों का जातिगत डेटा एकत्र - सुप्रीम कोर्ट ने किया स्पष्ट

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नई दिल्ली। एनसीआरबी के द्वारा जेलों में बंद कैदियों का जातिगत डाटा एकत्र किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को यह स्पष्ट किया है। अदालत से जेल में जाति आधारित भेदभाव के संबंध में दिए गए पूर्व आदेश के संबंध में कुछ मुद्दे स्पष्ट करने की मांग की गई थी।

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जाति आधारित अलगाव और जेलों में कार्य विभाजन को समाप्त करने के अपने निर्णय के आलोक में एनसीआरबी को जेलों में डेटा एकत्र करने से नहीं रोका जाएगा। सीजेआई ने कहा कि, एमए में एक स्पष्टीकरण मांगा गया है कि निर्णय में निर्देश 4 एनसीआरबी द्वारा एकत्र किए गए डेटा को प्रभावित नहीं करना चाहिए, डॉ मुरलीधर ने प्रस्तुत किया कि एनसीआरबी के काम को प्रभावित न करने के लिए ऐसा स्पष्टीकरण जारी किया जाना चाहिए, ... हम स्पष्ट करते हैं कि निर्देश 4 एनसीआरबी द्वारा डेटा संग्रह को बाधित नहीं करेगा।

दरअसल, एक आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने जेलों में जाति आधारित भेदभाव को लेकर नाराजगी जताई थी। इस संबंध में राज्य और केंद्र सरकार को फटकार लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने फैसला में कहा था कि, यह मैनुअल निचली जाति को सफाई और झाड़ू लगाने का काम और उच्च जाति को खाना पकाने का काम सौंपकर सीधे तौर पर भेदभाव करता है और यह अनुच्छेद 15 का उल्लंघन है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इस तरह की प्रथाओं से जेलों में श्रम का अनुचित विभाजन हो रहा है और जाति आदि के आधार पर श्रम आवंटन की अनुमति नहीं दी जा सकती। सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को जेल मैनुअल के प्रावधानों को संशोधित करने का निर्देश दिया था। इसके तहत जेल के मैनुअल में आदतन अपराधियों के संदर्भों को असंवैधानिक घोषित किया गया है। वहीं दोषी या विचाराधीन रजिस्ट्रार में जाति कॉलम को हटा दिए जाने के आदेश भी दिए गए हैं।

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