अब अगले महीने से पान मसाला हो जाएगा महंगा

अब अगले महीने से पान मसाला हो जाएगा महंगा
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दिल्ली। माल एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद अपनी अगली बैठक में पान मसाला तथा विनिर्माण के स्तर पर ईंट पर उपकी वसूलने के बारे में चर्चा कर सकती है। कर चोरी को रोकने तथा राजस्व संग्रह को बढ़ाने के लिए इस बारे में सोचा जा रहा है। जीएसटी परिषद की शुक्रवार को हुई 40वीं बैठक में उत्तर प्रदेश ने ईंट भट्टा और पान मसाला से संबंधित मुद्दों को चर्चा के लिए उठाया। अभी पान मसाला पर 28 प्रतिशत की दर से जीएसटी और 60 प्रतिशत की दर से उपकर लगता है।

बैठक के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संवाददाताओं से कहा, ''वे (राज्य) इन सामग्रियों को लेकर दर के बारे में पूछ रहे हैं... उत्तर प्रदेश के मंत्री ने इसे जोर देकर उठाया, क्योंकि वह अपने राज्य के लिए राजस्व जुटाना चाहते हैं और चाहते हैं कि जीएसटी परिषद इस बारे में शीघ्रता से निर्णय ले। अत: मैंने उन्हें आश्वासन दिया है कि जीएसटी परिषद की अगली नियमित बैठक में हम इस मुद्दे को चर्चा के लिए सामने रखेंगे।

सूत्रों का कहना है कि उत्तर प्रदेश ने निर्माता द्वारा की गई सप्लाई पर इसे (उपकर को) लागू करने की मौजूदा प्रथा से हट कर उत्पादन क्षमता के आधार पर विनिर्माण के स्तर पर उपकर लगाने की मांग की है। अभी पान मसाला पर 28 प्रतिशत की दर से जीएसटी और 60 प्रतिशत की दर से उपकर लगता है। गुटखा वाले पान मसाला पर 204 प्रतिशत उपकर लगता है। पान मसाला जैसी सामग्रियों के मामले में कर चोरी करना आसान हो जाता है, क्योंकि इन्हें छोटे पैकेटों में बेचा जाता है और अमूमन इनकी बिक्री नकदी में ही होती है। ऐसे में कर प्राधिकरणों के लिए अंतिम आपूर्ति का पता लगा पाना मुश्किल हो जाता है।

ईंटों पर अभी उनके प्रकार के हिसाब से पांच प्रतिशत से 18 प्रतिशत तक की दर से जीएसटी लगता है। भवनों में लगने वाली ईंटों तथा मिट्टी आदि से बनने वाली ईटों पर पांच प्रतिशत जीएसटी लगता है। हालांकि मल्टीसेल्यूलर अथवा फोम ग्लास आदि पर 18 प्रतिशत की दर से जीएसटी लगता है। एएमआरजी एंड एसोसिएट्स के सीनियर पार्टनर रजत मोहन ने कहा कि अभी जीएसटी व्यवस्था के तहत पान मसाला और ईंटों पर ऐड-वेलोरम के आधार पर शुल्क लगाया जाता है, जबकि इससे पहले की व्यवस्था में अधिकांश राज्य कर चोरी को रोकने के लिए मशीन की क्षमता के आधार पर इन वस्तुओं पर कर लगाते थे।

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