रेटिंग घोटाला: भोपाल, दिल्ली बैंगलोर समेत 20 स्थानों पर छापेमारी में खुलासा, NAAC टीम रेटिंग के बदले ले रही थी रिश्वत
नई दिल्ली। शिक्षा क्षेत्र में भ्रष्टाचार के एक बड़े मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने नेशनल असेसमेंट एंड एक्रेडिटेशन काउंसिल (NAAC) रेटिंग से जुड़े एक बड़े घोटाले का पर्दाफाश किया है। CBI ने 10 लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनमें शैक्षणिक संस्थानों के शीर्ष अधिकारी और NAAC निरीक्षण टीम के सदस्य शामिल हैं। इन पर A++ रेटिंग देने के बदले रिश्वत लेने का आरोप है।
घोटाले की मुख्य जानकारी:
शामिल संस्थान: यह घोटाला आंध्र प्रदेश के गुन्टूर स्थित कोनेरु लक्ष्मैया एजुकेशन फाउंडेशन (KLEF) और JNU, बैंगलोर यूनिवर्सिटी जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों से जुड़ा है।
तरीका: आरोप है कि आरोपी NAAC निरीक्षण टीम के सदस्यों को रिश्वत देकर A++ रेटिंग हासिल कर रहे थे, जो शैक्षणिक संस्थानों की प्रतिष्ठा और फंडिंग के लिए महत्वपूर्ण है।
देशव्यापी छापे: CBI ने चेन्नई, बैंगलोर, विजयवाड़ा, पलामू, संबलपुर, भोपाल, बिलासपुर, गौतम बुद्ध नगर और नई दिल्ली सहित देशभर में 20 स्थानों पर एक साथ छापेमारी की।
जब्त सामग्री: छापे के दौरान CBI को 37 लाख रुपये नकद, 6 लैपटॉप, एक iPhone 16 Pro, सोने के सिक्के और कई अहम दस्तावेज बरामद हुए।
गिरफ्तार आरोपी -
1. शैक्षणिक संस्थानों के अधिकारी:
जी.पी. सारधी वर्मा*, कुलपति, KLEF, गुन्टूर
कोनेरु राजा हरी*, उपाध्यक्ष, KLEF
ए. रामकृष्ण*, निदेशक, KL यूनिवर्सिटी, हैदराबाद.
2. NAAC निरीक्षण टीम के सदस्य:
समरेंद्र नाथ साहा, कुलपति, रामचंद्र चंद्रवंशी यूनिवर्सिटी (NAAC चेयरमैन)
राजीव सिजारिया, प्रोफेसर, JNU, दिल्ली (NAAC कोऑर्डिनेटर)
डी. गोपाल, डीन, भारत इंस्टीट्यूट ऑफ लॉ
राजेश सिंह पवार, डीन, जागरण लेकसिटी यूनिवर्सिटी, भोपाल
मानस कुमार मिश्रा, निदेशक, जीएल बजाज इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी
गायत्री देवराजा, प्रोफेसर, दावणगेरे यूनिवर्सिटी
बुलु महाराणा, प्रोफेसर, संबलपुर यूनिवर्सिटी।
कानूनी कार्रवाई:CBI ने भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम और भारतीय दंड संहिता (IPC) की प्रासंगिक धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है। जांच जारी है, और इस मामले में और गिरफ्तारियां होने की संभावना है।
प्रभाव: इस घोटाले ने NAAC रेटिंग प्रणाली की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं, जो उच्च शिक्षा में गुणवत्ता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए बनाई गई है। प्रतिष्ठित संस्थानों के शीर्ष अधिकारियों की शामिलता ने शैक्षणिक समुदाय में हड़कंप मचा दिया है।
आगे क्या होगा:
CBI संभवतः इस घोटाले से जुड़े अन्य संस्थानों और व्यक्तियों की जांच को विस्तार देगी।
शिक्षा मंत्रालय NAAC प्रत्यायन प्रक्रिया की समीक्षा कर सकता है ताकि भविष्य में इस तरह की अनियमितताओं को रोका जा सके।
इस खबर के और अपडेट के लिए बने रहें. यह भारत की उच्च शिक्षा प्रणाली की विश्वसनीयता पर एक बड़ा आघात है, और इसके दूरगामी परिणाम हो सकते हैं....