दिल्ली दंगों की एसआईटी से नहीं होगी जांच, हाई कोर्ट का सुनवाई से इनकार
नई दिल्ली। दिल्ली दंगों की एसआईटी से जांच कराने के लिए दिशा-निर्देश जारी करने की मांग करनेवाली एक याचिका पर हाई कोर्ट ने सुनवाई करने से इनकार कर दिया है। जस्टिस सिद्धार्थ मृदूल और जस्टिस तलवंत सिंह की बेंच ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये सुनवाई के बाद कहा कि इसी मांग से जुड़ी एक याचिका चीफ जस्टिस की कोर्ट में पहले से लंबित है, याचिकाकर्ता उसी में पक्षकार बनाए जाने की मांग कर सकता है।
सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से पेश वकील ने कोर्ट से कहा कि ऐसी ही मांग करनेवाली सात याचिकाएं चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच के समक्ष लंबित हैं। उन याचिकाओं पर 13 जुलाई को सुनवाई होनी है। उसके बाद कोर्ट ने इस याचिका को भी चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच के समक्ष लंबित याचिकाओं के साथ टैग करने का आदेश दिया। यह याचिका जमीयत उलेमा-ए-हिन्द ने दायर की है। सुनवाई के दौरान जमीयत की ओर से वकील मोहम्मद तैय्यब खान औऱ मोहम्मद नुरुल्ला ने कोर्ट से कहा कि जब देश कोरोना वायरस से लड़ रहा है उस समय दिल्ली पुलिस दंगों की जांच के नाम पर लोगों को उनके घरों से उठा रही है और उन्हें जेल भेज रही है। जमीयत की ओर से कहा गया कि दिल्ली पुलिस का एकतरफा और मनमाने कार्य सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ है। सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना वायरस की वजह से हुए लॉकडाउन के बाद जेलों में भीड़ कम करने के लिए कैदियों को जमानत या पेरोल पर रिहा करने का आदेश दिया है।
याचिका में मांग की गई है कि दिल्ली पुलिस को जांच के नाम पर दंगों के पीड़ितों और विरोध प्रदर्शन करनेवाले लोगों को गिरफ्तार करने से रोका जाए। याचिका में कहा गया है कि जांच तब तक रोका जाए जब तक दंगों की जांच दिल्ली हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में बनी एसआईटी से कराने के लिए दायर किए गए याचिका का निपटारा नहीं हो जाता है। याचिका में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन नहीं करने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने और कोर्ट की अवमानना की प्रक्रिया शुरु करने की मांग की गई है। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा कि अभी तक जो लोग भी गिरफ्तार किए गए हैं या जिन्हें आगे गिरफ्तार किया जाएगा उनके साथ सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों के मुताबिक पेश आया जाएगा।