सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी: पटाखों पर प्रतिबंध का पालन शायद ही हुआ, दिल्ली सरकार बताओ आदेश लागू करने के लिए क्या किया?

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Supreme Court Comment on Pollution Caused by Firecrackers : नई दिल्ली। 23 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने यह पाया कि केंद्र सरकार पराली जलाने से दिल्ली एनसीआर में होने वाले वायु प्रदूषण से निपटने के लिए कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं कर रही है। न्यायालय ने पाया कि केवल नाममात्र का जुर्माना वसूला जा रहा है। आज (4 अक्टूबर) न्यायालय ने दिल्ली में प्रदूषण से संबंधित मुद्दों पर विचार किया। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, 'पटाखों पर प्रतिबंध का पालन शायद ही किया गया।' अदालत ने दिल्ली सरकार और पुलिस से पटाखा बैन को लागू करने के लिए क्या - क्या किया गया यह भी हलफनामे के जरिए बताने को कहा है।

न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए आदेश दिया कि, 'इस बात पर कोई विवाद नहीं हो सकता कि पटाखों पर प्रतिबंध का पालन शायद ही किया गया हो। पटाखों पर प्रतिबंध का पालन न किया जाना एमिकस द्वारा पेश रिपोर्ट से स्पष्ट है, जो यह है कि इस बार प्रदूषण का स्तर अब तक के उच्चतम स्तर पर था। यहां तक ​​कि रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि स्टबल बर्निंग भी अब तक के उच्चतम लेवल पर थी। हम दिल्ली सरकार को निर्देश देते हैं कि वह प्रदूषण से निपटने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में हलफनामा दाखिल करे।'

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के पुलिस आयुक्त को भी निर्देश दिए हैं। इसमें कहा गया है कि, वह प्रतिबंध को लागू करने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में हलफनामा दाखिल करे। अदालत ने कहा कि, दोनों को यह बताना चाहिए कि वे क्या कदम उठाने का प्रस्ताव रखते हैं ताकि अगले साल ऐसी घटना न हो। इसमें सार्वजनिक अभियान के लिए उठाए गए कदम भी शामिल होने चाहिए। अदालत ने यह भी कहा कि, पंजाब और हरियाणा राज्यों को पिछले 10 दिनों में पराली जलाने के विवरण के बारे में हलफनामा दाखिल करना चाहिए।

अदालत ने फैसले में कहा कि, '2024 की दिवाली में क्या हुआ, इन पहलुओं पर विचार करने के लिए 14 नवंबर को विचार किया जाएगा। दिल्ली सरकार और पुलिस आयुक्त को एक सप्ताह में हलफनामा दाखिल करना होगा। दोनों को हलफनामे में इस दौरान आग लगने की घटनाओं के बारे में भी बताना होगा। इस बीच, दिल्ली सरकार और अन्य प्राधिकारियों को भी इन पटाखों पर 'स्थायी प्रतिबंध' लगाने का निर्णय लेना चाहिए। ऐसा अदालत द्वारा कहा गया है।

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