कृष्ण जन्मभूमि मामला: सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश पर लगी रोक बढ़ाई, नहीं हो पाएगा सर्वेक्षण
मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि विवाद
कृष्ण जन्मभूमि मामला : नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के उस आदेश पर रोक बढ़ा दी है, जिसमें मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद परिसर का न्यायालय की निगरानी में सर्वेक्षण करने की अनुमति दी गई थी। इस मामले की सुनवाई सीजेआई संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच कर रही थी।
इलाहाबाद उच्च न्यायलय ने दिसम्बर 2023 में मथुरा अदालत से केस को खुद को ट्रांसफर करते हुए कोर्ट कमिश्नर की मौजूदगी में शाही ईदगाह मस्जिद का निरिक्षण करने का आदेश दिया था। उच्च न्यायालय के इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। इस मामले में अदालत ने उच्च न्यायलय के फैसले पर अंतरिम रोक लगा दी थी। इस रोक को फिलहाल बढ़ा दिया गया है।
बता दें कि, मूल विवाद यह है कि, मुगल बादशाह औरंगजेब द्वारा यहां मंदिर तोड़कर मस्जिद बनवाई गई। इसे लेकर अदालत में कई याचिका दायर की गई है। इसके पहले सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि मथुरा श्री कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद विवाद में हिंदू याचिकाकर्ताओं द्वारा दायर 15 मुकदमों को एक साथ लाने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका बाद में उठाई जा सकती है।
पिछली सुनवाई में मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने सभी मुकदमों को एक साथ लाने के उच्च न्यायालय के फैसले के पक्ष में प्रथम दृष्टया अपना मत रखते हुए कहा था कि यह मुकदमे के दोनों पक्षों के पक्ष में है। पिछले साल 11 जनवरी को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने निर्देश दिया था कि हिंदू वादी द्वारा दायर आवेदन पर 15 मुकदमों को "न्याय के हित में" एक साथ लाया जाए।
दिल्ली में शाही ईदगाह और श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद से जुड़े सभी केस एक साथ जोड़ने की मांग की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में 1 अप्रैल को सुनवाई तय की है। कोर्ट ने कहा कि, एक साथ सुनवाई करने से वक्त बचेगा और यह दोनों पक्षों के हित में होगा।
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद से संबंधित 15 मुकदमों को एकीकृत करने के अपने जनवरी 2024 के आदेश के खिलाफ दायर रिकॉल आवेदन को खारिज कर दिया था। यह आवेदन मुस्लिम पक्ष की ओर से दायर किया गया था।
11 जनवरी 2024 को हाई कोर्ट ने हिंदू पक्ष की ओर से दायर सभी मामले से संबंधित सभी मुकदमों को एक साथ जोड़ दिया था। इस फैसले के खिलाफ मुस्लिम पक्ष की ओर से याचिका दाखिल की गई थी। मुस्लिम पक्ष की ओर से पेश हुए अधिवक्ता तस्नीम अहमदी ने कहा था कि 11 जनवरी 2024 के कोर्ट के उस आदेश को वापस लिया जाना चाहिए, जिसके तहत सभी मुकदमों को एक साथ जोड़ दिया गया था। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में मामला दर्ज किया गया। अब सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया है।