दिल्ली-NCR में प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट नाराज, कहा- अधिकारी जड़ता की स्थिति में

दिल्ली-NCR में प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट नाराज, कहा- अधिकारी जड़ता की स्थिति में
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नईदिल्ली। कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण पर सुनवाई करते हुए कहा है कि सरकारी अधिकारी जड़ता की स्थिति में हैं। हर बात कोर्ट को तय करनी पड़ रही है। चीफ जस्टिस एनवी रमना ने कहा की मामले की सुनवाई 24 नवंबर को होगी लेकिन इसका मतलब यह नहीं समझा जाए कि हम आदेश नहीं पारित कर रहे हैं तो हम गंभीर नहीं हैं।

सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि पराली जलाने के मामले में कई गलत बातें मीडिया में कही जा रही हैं। कहा जा रहा है कि इसका योगदान कम कर मैंने कोर्ट को गुमराह किया है। तब जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि नहीं, आपने हमें गुमराह नहीं किया है। चीफ जस्टिस ने कहा कि टीवी डिबेट दूसरों से ज़्यादा प्रदूषण फैला रहे हैं। सबका अपना अपना एजेंडा है। उन्हें मुद्दों की समझ नहीं है। मेहता ने कहा कि मैंने कहा था कि पराली का कुल प्रदूषण में योगदान कम है। लेकिन इन दो महीनों में इसका असर बहुत बढ़ जाता है। मेहता ने कहा कि उद्योगों को गैस ईंधन से चलाने का निर्देश दिए गए हैं। दिल्ली के तीन सौ किलोमीटर के दायरे के 11 थर्मल पावर प्लांट्स में सिर्फ 5 को चलाने की अनुमति दी गई है। बाकी 30 नवंबर तक बंद रहेंगे। ट्रकों के प्रवेश पर रोक लगाई गई है। 10 साल से पुराने डीज़ल और 15 से पुराने पेट्रोल वाहन पर रोक लगाई गई है।

सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि आखिर किसानों को पराली क्यों जलाना पड़ता है, इस पर कोई नहीं सोच रहा है। पांच सितारा होटल में एसी में बैठकर किसानों को दोष देना बहुत आसान है। चीफ जस्टिस ने कहा कि हम पराली के लिए किसानों को दंडित या परेशान नहीं करना नहीं चाहते हैं। राज्य सरकार इस मामले का ख्याल रखें। दिल्ली सरकार के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि केंद्र ने पहले कहा था कि पराली जलाने से 35 से 40 फीसदी प्रदूषण है। तब चीफ जस्टिस ने कहा कि आज हर अखबार ने आंकड़ा दिया है। केंद्र पूरे साल की बात कर रहा है। हम इन दो महीनों को लेकर ज़्यादा चिंतित हैं । सिंघवी ने कहा कि पराली जलाने को कम कर के आंकने का नुकसान है। तब चीफ जस्टिस ने कहा कि हमने सिर्फ यही कहा है कि किसानों को दंडित मत कीजिए । सिंघवी ने कहा कि बायो ट्रीटमेंट कारगर है। तब चीफ जस्टिस ने कहा कि आप चाहते हैं कि हम कुछ बोलें और वह खबर बने।

जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि यहां 7 स्टार सुविधा में बैठे लोग किसानों पर ज़िम्मा डालना चाहते हैं। औसत किसान की ज़मीन का आकार क्या है। क्या वह खर्च उठा सकता है। चीफ जस्टिस ने कहा मैं अपने मोबाइल से पढ़ रहा हूँ। एक रिपोर्ट कहती है कि पटाखों का कोई खास योगदान नहीं है। क्या यह मान लें। हमारी रोक के बावजूद पटाखे जले । तब सिंघवी ने कहा कि हमारे पास खेती की जमीन कम है। इसलिए हमने पराली पर पड़ोसी राज्यों से अनुरोध किया है। चीफ जस्टिस ने कहा कि हमें क्या करना चाहिए। तब सिंघवी ने कहा कि हर साल यह सुनवाई देर से शुरू होती है। इसे अक्टूबर की शुरुआत में होना चाहिए। तभी असर होगा।

सिंघवी ने कहा कि हमने दफ्तर बंद किए लेकिन एनसीआर से तो गाड़ियां आएंगी ही। तब जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि क्या आप सीएनजी बसें बढ़ा सकते हैं ताकि लोग उसमें दफ्तर जाएं। तब सिंघवी ने कहा कि यह देखना होगा कि कितनी बसें हैं। पर एनसीआर से आनेवाली गाड़ियों का क्या करेंगे। सुनवाई के दौरान हरियाणा के वकील ने कहा कि मुख्य सचिव समेत आला अधिकारी निगरानी कर रहे हैं। चीफ जस्टिस ने कहा कि क्या आप एनसीआर के शहरों में वर्क फ्रॉम होम करवा रहे हैं। तब हरियाणा सरकार ने कहा कि जी। तब जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि क्या आप कह रहे हैं कि इन चार जिलों में निजी वाहन बंद हैं। असल में आपने लोगों को उनकी मर्जी से चलने की अनुमति दे रखी है।


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