वैवाहिक रेप अपराध है या नहीं ? सुप्रीम कोर्ट अक्टूबर में करेगा सुनवाई

वैवाहिक रेप अपराध है या नहीं ? सुप्रीम कोर्ट अक्टूबर में करेगा सुनवाई
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हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा था कि उसका ये रुख नहीं है कि भारतीय दंड संहिता की धारा 375 के अपवाद 2 को हटाया जाए या रखा जाए।

नईदिल्ली। सुप्रीम कोर्ट वैवाहिक रेप को अपराध में दायरे में रखने के मसले पर अक्टूबर में सुनवाई करेगा। आज वरिष्ठ वकील करुणा नंदी ने इस मामले पर जल्द सुनवाई की मांग करते हुए चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच के समक्ष मेंशन किया, जिसके बाद कोर्ट ने अक्टूबर में सुनवाई करने का आदेश दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने 16 सितंबर 2022 को केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था। सुप्रीम कोर्ट को ये तय करना है कि पति का पत्नी के साथ जबरन संबंध बनाना रेप है कि नहीं। 11 मई 2022 को दिल्ली हाई कोर्ट ने वैवाहिक रेप के मामले पर विभाजित फैसला दिया था। जस्टिस राजीव शकधर ने जहां भारतीय दंड संहिता की धारा 375 के अपवाद को असंवैधानिक करार दिया था, जबकि जस्टिस सी हरिशंकर ने इसे सही करार दिया है। अब सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर सुनवाई करेगा।

धारा 375 के अपवाद 2 को हटाया जाए





हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा था कि उसका ये रुख नहीं है कि भारतीय दंड संहिता की धारा 375 के अपवाद 2 को हटाया जाए या रखा जाए। केंद्र सरकार अपना रुख संबंधित पक्षों से मशविरा के बाद ही तय करेगी। सुनवाई के दौरान एक याचिकाकर्ता के वकील कॉलिन गोंजाल्वेस ने वैवाहिक रेप को अपराध बनाने की मांग की थी। गोंजाल्वेस ने ब्रिटेन के लॉ कमीशन का हवाला देते हुए वैवाहिक रेप को अपराध बनाने की मांग की थी।

यौन इच्छा की स्वतंत्रता का उल्लंघन

सुनवाई के दौरान 2 फरवरी को एक याचिकाकर्ता की वकील करुणा नंदी ने कहा था कि वैवाहिक रेप का अपवाद किसी शादीशुदा महिला की यौन इच्छा की स्वतंत्रता का उल्लंघन है। उन्होंने कहा था कि इससे जुड़े अपवाद संविधान की धारा 19(1)(ए) का उल्लंघन है। नंदी ने कहा था कि वैवाहिक रेप का अपवाद यौन संबंध बनाने की किसी शादीशुदा महिला की आनंदपूर्ण हां की क्षमता को छीन लेता है। उन्होंने कहा था कि धारा 375 का अपवाद दो किसी शादीशुदा महिला के ना कहने के अधिकार को मान्यता नहीं देता है। ऐसा होना संविधान की धारा 19(1)(ए) का उल्लंघन है। ये अपवाद असंवैधानिक है क्योंकि ये शादी की निजता को व्यक्तिगत निजता से ऊपर मानता है।

हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान इस मामले के एमिकस क्युरी रेबेका जॉन ने कहा था कि भारतीय दंड संहिता की धारा 375 के अपवाद को बरकरार रखा जाना संवैधानिक नहीं होगा। जॉन ने कहा था कि भारतीय दंड संहिता की धारा 498ए, 304बी और घरेलू हिंसा अधिनियम और अन्य नागरिक उपचार सहित विभिन्न कानूनी प्रावधान धारा 375 के तहत रेप से निपटने के लिए अपर्याप्त है।

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