दिल्ली का इन्फ्रास्ट्रक्चर संकट: क्या इस मास्टर प्लान से बदलेगी राजधानी की तस्वीर ?

नई दिल्ली, डाॅ. राकेश शर्मा। देश की राजधानी दिल्ली में नई सरकार के गठन के साथ ही मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता मिशन मोड में कार्यरत है क्योंकि समस्याएं बड़ी हैं ओर अब विकराल भी हो गई हैं जिनका समाधान दिल्ली निवासियों को तत्काल मिले ऐसी जनता की अपेक्षा भी है। दिल्ली और दिल्ली निवासी बढ़ते प्रदूषण, अवैध पार्किंग, सड़कों के विस्तार, मेट्रो नेटवर्क का विकास और दिल्ली के यातायात और इन्फ्रास्ट्रक्चर में सुधार की तत्काल आवश्यकता हैं।
दिल्ली के इन्हीं सब विषयों पर स्वदेश के ब्यूरो प्रमुख डा राकेश शर्मा ने भाजपा के वरिष्ठ नेता, चिंतक एवम् महाराजा अग्रसेन मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट के फाउंडर चेयरमैन डॉ नंदकिशोर गर्ग से बातचीत की। बातचीत के दौरान डा गर्ग ने कहा कि यह तो निश्चित है कि दिल्ली के अंदर आप पार्टी सरकार के कार्यकाल में कुछ भी काम नहीं हुआ है और दिल्ली काफी पीछे चली गई है।
अब नई सरकार को दिल्ली के इन्फ्रास्ट्रक्चर और सड़कों के संदर्भ में दिल्ली मास्टर प्लान के उन सभी प्रमुख मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए। अगर पहले की सरकार थोड़ी भी जागरूक होती तो यह सब कार्य 2011 से 2021 के बीच ही पूरा हो जाना चाहिए थे।
अगर सरकार पहले से सजग होती, तो 1996-97 में हमारी सरकार के दौरान शुरू किए गए अर्बन एक्सटेंशन 1, 2 और 3, और सड़क कार्य पहले ही पूरे हो चुके होते। इन परियोजनाओं को स्पष्ट उद्देश्य के साथ शुरू किया गया था, लेकिन आज भी अर्बन एक्सटेंशन 2 पूरी तरह से पूरा नहीं हो पाया है।
ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर, जो बहुत से ट्रैफिक समस्याओं को हल कर सकता था, वह भी अब तक पूरा नहीं हुआ है। इसी तरह, दिल्ली के यातायात सुधार के लिए कोई ठोस कार्य नहीं हो रहा है। हालांकि कई क्षेत्रों में पर्याप्त जगह उपलब्ध है, फिर भी कई जगहें अव्यवस्थित रूप से बाजारों और आवासों से भरी हुई हैं, जिन्हें सिर्फ दो महीने में उचित योजना के साथ खाली किया जा सकता है।
दिल्ली में ट्रैफिक बढ़ने का एक प्रमुख कारण अवैध पार्किंग भी है। हजारों वाहन अपनी जीवनकाल पूरी कर चुके हैं, लेकिन फिर भी वे दिल्ली की सड़कों पर चल रहे हैं, जिससे ट्रैफिक और भी बढ़ रहा है। इन अवैध पार्किंग क्षेत्रों पर तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है, क्योंकि यह बाजारों और आवासीय क्षेत्रों में ट्रैफिक की समस्या को बढ़ाते हैं।
इसके अलावा, दिल्ली में मेट्रो नेटवर्क, जो 1998 में शुरू हुआ था, उतनी तेजी से नहीं बढ़ा जितना उसे बढ़ना चाहिए था। जबकि मेट्रो का कार्य दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार दोनों द्वारा चलाया जा रहा है, इसकी गति को बढ़ाने की जरूरत है। मेट्रो कॉरिडोर को 2030 तक पूरा किया जाना चाहिए, जैसा कि योजना है, ताकि बढ़ती जनसंख्या और यातायात के दबाव को कम किया जा सके।
यह बहुत महत्वपूर्ण है कि मेट्रो नेटवर्क का विस्तार दिल्ली के सभी हिस्सों तक किया जाए, विशेष रूप से ईस्ट कॉरिडोर, नॉर्थ कॉरिडोर और अन्य प्रमुख मार्गों पर। दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी की सरकारों के साथ, और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में, इन परियोजनाओं को तेजी से पूरा किया जा सकता है और इस दिशा में सकारात्मक बदलाव लाए जा सकते हैं।
सबसे पहले, नालों की सफाई पर ध्यान दिया जाना चाहिए, इसके बाद सड़कों के निर्माण और सार्वजनिक परिवहन प्रणाली को बेहतर बनाने का काम किया जाना चाहिए। इससे ट्रैफिक जाम और यातायात की समस्याएं कम हो सकती हैं। मेट्रो विस्तार और अन्य सार्वजनिक परिवहन परियोजनाओं पर भी अधिक ध्यान देना चाहिए, ताकि दिल्ली में यात्रा करना आसान और सुविधाजनक हो सके।
अंत में, यदि सरकार इन समस्याओं पर ध्यान देती है — जैसे सड़क विस्तार, अवैध पार्किंग, और मेट्रो नेटवर्क का विकास — तो दिल्ली के यातायात और इन्फ्रास्ट्रक्चर में महत्वपूर्ण सुधार हो सकता है, जिससे शहर अधिक रहनीय और प्रभावी बन सकेगा।