उदितराज ने बदला पाला

उदितराज ने बदला पाला
X
कांग्रेस के मंच से करेंगे दलितों व शोषितों की आवाज बुलंद

दिल्ली। अपनी नाकामियों का ठीकरा भाजपा पर फोड़ते हुए उदितराज ने बुधवार को कांग्रेस का दामन थाम लिया। कल तक 'मैं भी चैकीदार' का नारा बुलंद करने वाले उदितराज का टिकट क्या कटा, मानो भाजपा अब उनके लिए बेगानी हो गई। 'इंडियन जस्टिस पार्टी' के नेता उदितराज ने 2014 में मोदी लहर पर सवार होकर दिल्ली की उत्तर-पश्चिम सीट से जीत दर्ज की थी। इतना ही नहीं नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता देख उन्होंने अपनी पार्टी का विलय ही भाजपा में कर लिया था। टिकट नहीं मिलने पर वही उदितराज भाजपा को अब पानी पी-पीकर कोसते नजर आ रहे हैं। यहां तक कि भाजपा को दलित विरोधी करार दे रहे हैं। क्या इसे उदितराज की राजनीतिक अवसरवादिता नहीं कही जाएगी या फिर दलित-शोषित वर्ग के नाम पर छलावा? कांग्रेस में शामिल होकर वे देशभर में दलितों व शोषितों की आवाज बुलंद करेंगे। पर वाजिब सवाल यह है कि उदितराज को अगर वाकई में दलितों और शोषितों की आवाज बुलंद करनी थी तो क्या वे भाजपाई रहते इस कार्य को अंजाम नहीं दे सकते थे? पांच साल सांसद रहते वे अगर इस कार्य को नहीं कर पाए तो पाला बदलकर कौन सा तीर मार लेंगे? और भाजपा परिवार में आने से पहले भी उन्होंने कौन से तीर मार लिए थे?

उत्तर प्रदेश में दलितों की रहनुमा होने का ख्वाब भी कभी बसपा प्रमुख मायावती ने देखा था। पर क्या हुआ? 2014 के आम चुनाव में नरेंद्र मोदी की आंधी में बसपा के सारे खंभे उखड़ गए थे। फिर उदितराज की मायावती के सामने हैसियत ही क्या है? यह उदितराज जानते हैं और कांग्रेस भी। देश में दबे, कुचले और शोषित वर्ग के लोगों में शिक्षा का स्तर जैसे-जैसे बढ़ रहा है उनमें सामाजिक व राजनीतिक समझ भी विकसित हो रही है। और उसकी परिणति यह है कि ये लोग अब किसी तरह के बहकावे में नहीं आने वाले। बसपा का आलम यह है कि वह किसी तरह अपनी जमीन बचाने के फेर में वे दुश्मन नंबर एक कि मांद में जा बैठी। कांग्रेस को लगता है कि उदितराज की वैशाखी के सहारे वह दलितों में पैठ बना पाएगी, पर क्या यह मुमकिन है?

उदितराज का ट्रैक रिकॉर्ड देखें तो वे एक सीट भी जीतने की हैसियत नहीं रखते। मोदी राज में दलितों के नाम पर उन्हें फ्रीहैंड मिलने के बावजूद वे कुछ ऐसा नहीं कर पाए जिससे कि वे अपनी सीट पर पुनः दावेदारी कर पाते। पार्टी का सर्वे बताता है कि इस संसदीय क्षेत्र में उन्होंने मतदाताओं से जिस तरह दूरियां बनाईं, वह चिंता का सबब बन गया था। रिपोर्ट में साफ चेतावनी थी कि उदितराज पर पार्टी दांव लगती है तो सीट उसके हाथ से निकल जायेगी। लेकिन, ये उदितराज ही हैं जो जमीनी सच्चाई से इतर अपना अलग राग अलाप रहे हैं।

बुधवार सुबह कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात के बाद कांग्रेस मुख्यालय में पार्टी के संगठन महामंत्री के सी वेणुगोपाल ने उन्हें औपचारिक तौर पर पार्टी में शामिल होने की घोषणा की। इस मौके पर दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष शीला दीक्षित और उदितराज ने एक दूसरे के लिए खूब कसीदे पढ़े। शीला दीक्षित उदित को याद दिला रही थी कि भाजपा में जाने पर उन्हें आश्चर्य हुआ था। पर अब वे उसे छोड़ आए हैं तो साथ मिलकर दिल्ली की राजनीति बदलेंगे। शीला का इशारा लोकसभा से आगे 2020 के विधानसभा चुनावों की ओर था। क्योंकि फिलहाल तो लोकसभा में कांग्रेस के लिए आसार नजर नहीं आ रहे हैं।

Tags

Next Story