One Nation One Election Bill: लोकसभा में एक देश एक चुनाव बिल हुआ पेश, विपक्ष ने कहा- ये तानाशाही को थोपने की कोशिश

One Nation One Election Bill Introduced in Lok Sabha
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One Nation One Election Bill Introduced in Lok Sabha

One Nation One Election Bill Introduced in Lok Sabha : दिल्ली। लोकसभा में मंगलवार 17 दिसंबर 2024 को एक देश एक चुनाव वाला विधेयक (One Nation One Election Bill) पेश हो गया है। कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल (Law Minister Arjun Ram Meghwal) ने यह बिल लोकसभा में पेश किया। इस विधेयक का कांग्रेस, टीएमसी, सपा समेत कई दलों ने विरोध किया है। विपक्ष ने कहा कि, यह तो एक तरह से तानाशाही को थोपने की कोशिश है। हालांकि भाजपा को अपने अहम सहयोगी दल जनता दल युनाइटेड का समर्थन हासिल है।

इस विधेयक को लेकर सपा सांसद धर्मेंद्र यादव (SP MP Dharmendra Yadav) ने कहा कि आखिर इस बिल को लाने की जरूरत ही क्या है। यह तो एक तरह से तानाशाही को थोपने की कोशिश है। तो वहीं जेडीयू के नेता संजय कुमार झा ने कहा कि यह बिल जरूरी है। हम तो हमेशा कहते रहे हैं कि विधानसभा और लोकसभा के चुनाव एक साथ ही होने चाहिए। पंचायत के चुनाव अलग से होने चाहिए।

संविधान की कुछ विशेषताएं सदन की संशोधन शक्ति से परे

कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा, मैं संविधान 129वें संशोधन विधेयक 2024 और केंद्र शासित प्रदेश कानून संशोधन विधेयक 2024 को पेश किए जाने का विरोध करता हूं। संविधान की सातवीं अनुसूची से परे मूल संरचना सिद्धांत है और मूल संरचना सिद्धांत बताता है कि भारतीय संविधान की कुछ विशेषताएं हैं जो इस सदन की संशोधन शक्ति से भी परे हैं।

आवश्यक विशेषताओं में से एक संघवाद और हमारे लोकतंत्र की संरचना है, इसलिए कानून और न्याय मंत्री द्वारा पेश किए गए विधेयक संविधान के मूल ढांचे पर पूरी तरह से हमला करते हैं और इस सदन की विधायी क्षमता से परे हैं और इसलिए उनका विरोध किया जाना चाहिए और उन विधेयकों को पेश किए जाने पर रोक लगाई जानी चाहिए।

एक देश एक चुनाव बिल मूल भावना के खिलाफ

अखिलेश यादव ने भी इसका विरोध किया और कहा कि 'एक' की भावना तानाशाही की ओर ले जाने वाली है। उन्होंने कहा कि इससे देश में तानाशाही आएगी और संघीय लोकतंत्र के लिए रास्ता बंद होगा। वहीं धर्मेंद्र यादव ने कहा कि अभी पिछले सप्ताह ही संविधान बचाने की इस सदन में कसमें खाई गई थीं और आज एक देश एक चुनाव का बिल लाया गया है, जो मूल भावना के ही खिलाफ है।

कांग्रेस लीडर मनीष तिवारी ने कहा कि यदि लोकसभा चुनाव में बहुमत नहीं मिलता है तो क्या पूरे देश का चुनाव होगा। उनका कहना था कि ऐसे नियम की स्थिति में तो बड़ी संख्या में विधानसभाओं को भंग करना होगा और सरकारें बर्खास्त करनी होंगी।

डिबेट के दौरान अमित शाह ने भी बीच में दखल देते हुए कहा कि कांग्रेस को तो बहस का मतलब सिर्फ विरोध ही पता है। यदि कोई चीज देश हित में है तो फिर उसका समर्थन भी किया जा सकता है। बता दें कि अपना दल, अकाली दल, जनता दल युनाइटेड समेत कई दलों ने एक देश एक चुनाव का समर्थन किया है।


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