लड़के के पेंट की जिप खोलना यौन हमला नहीं: विवादित टिप्पणी करने वाली जज पुष्पा गनेडीवाला फिर चर्चा में

विवादित टिप्पणी करने वाली जज पुष्पा गनेडीवाला फिर चर्चा में
X

Former Judge Pushpa Ganediwala : मुंबई। नाबालिग लड़की का हाथ पकड़ना और किसी लड़के की पतलून की जिप खोलना पॉक्सो अधिनियम के तहत यौन हमला नहीं है। इन विवादास्पद फैसले से चर्चा में आई जज पुष्पा गनेडीवाला एक बार फिर चर्चा में हैं। दरअसल, बॉम्बे हाई कोर्ट ने गुरूवार को कहा कि हाई कोर्ट की पूर्व न्यायाधीश पुष्पा गनेडीवाला उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के बराबर पेंशन पाने की हकदार हैं।

बॉम्बे हाईकोर्ट की पूर्व जज पुष्पा गनेडीवाला की याचिका पर हाईकोर्ट के आलोक अराधे और न्यायमूर्ति भारती डांगरे की खंडपीठ ने नवंबर 2022 के उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार के पत्र को रद्द कर दिया। कोर्ट ने रजिस्ट्रार कार्यालय को आदेश दिया कि रजिस्ट्रार दो महीने के भीतर फरवरी 2022 से छह प्रतिशत ब्याज के साथ गनेडीवाला की पेंशन तय करे।

दरअसल, पुष्पा गनेडीवाला ने बीते 19 जुलाई 2023 को बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर पीठ में याचिका लगाईं लगाईं। इस याचिका में उच्च न्यायालय (मूल पक्ष) रजिस्ट्री द्वारा दो नवंबर 2022 को जारी एक पत्र को चुनौती दी गई है। पत्र में कहा गया था कि वह उच्च न्यायालय के जज के रूप में पेंशन और अन्य लाभों के लिए पात्र या हकदार नहीं हैं। पुष्पा गनेडीवाला ने उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में उन्हें पेंशन देने का अनुरोध किया था।

इस फैसले के बाद हुआ था हंगामा

पुष्पा गनेडीवाला को कई फैसलों के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा था। उन्होंने फैसला सुनाया था कि पॉक्सो (POCSO) अधिनियम के तहत यौन उत्पीड़न के अपराध के रूप में विचार करने के लिए 'यौन इरादे से त्वचा से त्वचा का संपर्क' होना चाहिए। तभी पॉक्सो अधिनियम के तहत यौन उत्पीड़न का अपराध माना जाएगा। एक नाबालिग लड़की का हाथ पकड़ना और उसकी पैंट की जिप खोलना पॉस्को अधिनियम के तहत "यौन उत्पीड़न" की परिभाषा में नहीं आता है। इस फैसले के बाद खूब हंगामा हुआ था।

Tags

Next Story