बनासकांठा के हनुमान मंदिर में नहीं फोड़े जाते नारियल, 700 साल में बन गया है कई मीटर ऊंचा पहाड़

बनासकांठा के हनुमान मंदिर में नहीं फोड़े जाते नारियल, 700 साल में बन गया है कई मीटर ऊंचा पहाड़
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बनासकांठा/वेबडेस्क। कहावत है की आस्था को किसी प्रमाण की आवश्यकता नहीं होती। देश में ऐसे कई स्थान है जहां कोई ना कोई चमत्कार देखने को मिल जाता है। इनमें से कई देव स्थानों से लोगों की आस्था सदियों से जुडी हुई है। ऐसा ही एक चमत्कारी मंदिर है गुजरात के गुजरात के बनासकांठा जिले में है। इस मंदिर में भक्त नारियल को फोडकर नहीं बल्कि सबूत चढ़ाते है। 700 साल से एकत्र हो रहे नारियल से बड़ा पहाड़ खड़ा हो गया है।


बनासकांठा जिले के थराद तहसील के लाखणी गांव से 3 कि.मी. दूर गेला गांव में स्थित अनोखे हनुमान मंदिर में शनिवार को मेले जैसा माहौल होता है। यह हनुमान मंदिर भक्तों की आस्था का केंद्र है। 5-6 दशकों से भक्त यहां नारियल को बिना फोड़े ही चढ़ा देते हैं। जिससे यहां लाखों नारियल जमा हो गए हैं। नारियल से बन रहे इस पहाड़ पर हनुमान जी विराजमान है। अचरज की बात ये है की साधारण नारियल कुछ ही दिनों में सड़ या सूख जाता है लेकिन यहाँ नारियल सालों से जमा हैं। इनमें सड़ने की नाही कोई गंध है और नाही अन्य तरीके से खराब हुए है। पंडित से जुड़े सूत्र और श्रद्धालु इसे हनुमान जी का चमत्कार मानते है।

मंदिर से जुड़ी दंतकथा -

यह चमत्कारिक हनुमान जी खेजड़ा के झाड़ के नीचे विराजमान हैं। मंदिर से जुड़ी एक दंतकथा प्रचलित है। करीब 50-60 साल पहले थराद के आशोदर मठ के तपस्वी महंत हरदेवपुरी महाराज यहां आए थे। उन्होंने यहां चढ़ाए गए नारियल को प्रसाद के रूप में बच्चों को बांट दिया। जिससे बच्चे बीमार पड़ गए। फिर बच्चों ने हनुमानदादा के पास नारियल चढ़ाने की अनुमति मांगी। परंतु दादा ने अनुमति नहीं दी। इससे आशोदर मठ के तपस्वी महंत हरदेवपुरी महाराज ने हनुमानजी को उलाहना दिया कि यदि बच्चों को नारियल का प्रसाद दिए जाने से आपके नारियल कम हो जाते हैं, तो आप यहां नारियल के ढेर करके बताएं। बस उस दिन से यहां कोई नारियल फोड़ता नहीं। दशक बीत गए, हालात बदले पर यहां नारियल का ढेर बढ़ता ही गया। अब तो यह पहाड़ बन गया है।

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