5246 वें वर्ष में लग जाएंगे योगीराज श्रीकृष्ण, ज्योतिष गणित में ऐसे होती है उम्र की गणना
मथुरा। ज्योतिष गणित के अनुसार इस वर्ष भगवान श्रीकृष्ण का 5245 वां जन्मोत्सव मनाया जाएगा। इसकी गणना कुछ इस प्रकार से होती है। भगवान कृष्ण द्वापर युग के वर्ष 8,60,931 में जन्में थे। विक्रम संवत के अनुसार कलयुग की आयु 2076 वर्ष हो चुकी है। द्वापर के 3169 व कलयुग के 2076 वर्ष को जोड़कर श्रीकृष्ण की वर्तमान आयु के आंकलन का उल्लेख ज्योतिष गणनानुसार निर्भय सागर सहित अन्य पंचांगों में किया गया है।
इस बार ये उत्सव 23 अगस्त शुक्रवार को अष्टमी तिथि व रोहिणी नक्षत्र से युक्त अत्यंत पुण्यकारक जयंती योग में मनाया जाएगा। वहीं वैष्णव संप्रदाय व साधु संतों की कृष्णाष्टमी 24 अगस्त दिन शनिवार को उदया तिथि अष्टमी एवं औदयिक रोहिणी नक्षत्र से युक्त सर्वार्थ अमृत सिद्धियोग में मनाई जाएगी। ऐसे में 24 अगस्त को ही जन्माष्टमी मनाई जानी सार्वसम्मत होगी।
वर्ष 2019 में हम बाल गोपाल का कौन सा वां जन्मोत्सव मनाएंगे यह शायद ही कोई जानता हो। वेद-पुराणों, शास्त्रों सहित पंचांगों में उल्लेखित है कि भगवान श्रीकृष्ण द्वापर युग में जन्में थे। जिसके चलते द्वापर के वर्ष और वर्तमान में विक्रम संवत के वर्ष मिलाकर इस वर्ष भगवान श्रीकृष्ण का 5245वां जन्मोत्सव मनाया जाएगा। ज्योतिष आचार्य पंडित नेत्रपाल शास्त्री ने बताया द्वापर युग के 8,60,931वें वर्ष में भगवान श्रीकृष्ण ने कंस के कारागार में मां देवकी की कोख से जन्म लिया था।
अभी कलयुग के शेष हैं 4,29,924 वर्ष
सतयुग, त्रेतायुग, द्वापर युग व कलयुग के चार चरणों का उल्लेख वेद-पुराणों सहित पंचांगों में किया गया है। सतयुग की आयु 17,28,000 वर्ष, त्रेतायुग की 12,96,000 वर्ष, द्वापर की 8,64,000 वर्ष तथा कलयुग की आयु 4,32,000 वर्ष है। विक्रम संवत के अनुसार कलयुग ने पहले चरण की 2076 वर्ष की आयु पूरी कर ली है। जबकि कलयुग के 4,29,924 वर्ष शेष हैं।
कलयुग के चार चरणों का उल्लेख पुराणों में किया गया है। कलयुग के प्रथम चरण के 2076 वर्ष विक्रम संवत के तहत पूरे हो चुके हैं। जबकि द्वापर युग के 8,60,931 वर्ष में कान्हां जन्में। ऐसे में द्वापर युग के शेष वर्ष और कलयुग के वर्तमान वर्षों को जोड़कर भगवान श्रीकृष्ण इस वर्ष 5245वर्ष के पूर्ण होकर 5246वें वर्ष में प्रवेश करेंगे।