दीपावली पर यहां पूजे जाते हैं कौवे, कुत्ते व गाय
नेपाल में तिहार के दूसरे दिन कुत्ते का पूजन करते नेपाली
सिद्धार्थनगर/विकास सिंह। पड़ोसी राष्ट्र नेपाल में दीपावली की पुरानी परंपरा अब भी बरकरार है। दीपावली त्योहार का जश्न मनाने के लिए नेपाली भारत के विभिन्न शहरों से लौटने लगे हैं। यहां पर्व की शुरुआत काग पूजा से होती है और समापन भाई टीका से। पांच दिनों तक चलने वाले इस त्योहार के उल्लास में पूरा नेपाल डूब जाता है। दीपावली प्रकाश का पर्व माना जाता है, लेकिन नेपाल में रहने वाले लोग दीपावली को महापर्व के रूप में मनाते हैं।
पड़ोसी नेपाल में हिंदू धर्मावलंबी दीपावली पर्व को 'तिहार' के रूप में बड़े धूमधाम के साथ मनाते हैं। दीपावली से पूर्व ही घरों की सफाई करने के साथ ही दीपावली को दीप और लाइटों से घरों को जगमग सजाते है। दीपावली पर मां लक्ष्मी जी की पूजा के साथ ही यम पंचक के रूप में काग, कुत्ते व गाय की पूजा भी अलग अलग दिनों में की जाती है।
भारत के साथ रोटी-बेटी के सम्बन्ध वाले व हिन्दू राष्ट्र रहे नेपाल में दीपावली (तिहार) पर्व पांच दिनों तक मनाया जाता है। इस दौरान काग तिहार, कुकुर तिहार, लक्ष्मी पूजा (गाय पूजा), गोवर्धन पूजा तथा भाई पूजा (टीका) पर्व बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार हर वर्ष कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी से प्रारम्भ होकर कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तक मनाया जाता है। इस वर्ष यह 3 नवंबर से शुरु होकर 6 नवंबर तक चलेगा।
• काग तिहार
कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी अर्थात तिहार का पहला दिन काग तिहार के रूप में मनाया जाता है। इस दिन कौओं की विधिवत पूजा की जाती है, उन्हें खाने के सामान पेश किये जाते हैं। कौओं को यमराज के दूत के रूप में माना जाता है। इस साल काग तिहार 3 नवंबर को मनाया जाएगा।
• कुकुर तिहार
यमपंचक के दूसरे दिन अर्थात कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी के दिन कुकुर तिहार के रूप मनाया जाता है। इस वर्ष 3 नवंबर को ही कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी भी है। इसी दिन कुकर तिहार या कुकर पूजा मनाया जाएगा। हिंदू परंपरा के अनुसार मान्यता है कि कुत्ता यम का दूत तथा मृतकों का भगवान और न्यायाधीश है।कुकुर तिहार के दिन कुत्तों को उनका पसंदीदा भोजन परोसा जाता है। उन्हें मनपसंद खाना खिलाकर व विधिवत पूजन कर माला पहनाया जाता है।
• लक्ष्मी पूजा (गाय पूजा)
तीसरे दिन अर्थात कार्तिक कृष्ण अमावस्या को गाय की पूजा की जाती है, जिसे देवी लक्ष्मी के रूप में पूजा जाता है। इसी दिन लक्ष्मी पूजा (दिवाली) होती है, जिसमें माता लक्ष्मी की विधि विधान से पूजा-अर्चना की जाती है तथा उनसे धन-धान्य, समृद्धि व खुशहाली की कामना की जाती है। इस दौरान कुँवारी लड़कियां घर-घर जाकर भाइलो व दिउसो खेलती हैं। इस वर्ष लक्ष्मी पूजा 4 नवंबर को मनाया जाएगा।
• गोवर्धन पूजा
तिहार के चौथे दिन अर्थात कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को शक्ति के देवता बैल को पूजा जाता है। इस दिन बैलों को विधि विधान से पूजते हैं। गोवर्धन पूजा इस वर्ष 5 नवंबर को मनाया जाएगा।
• भाई टीका
तिहार के पांचवें यानी आखिरी दिन बहनें अपने भाईयों के सम्मान में मनाती हैं। जिसमें बहनें, भाइयों के दीर्घायु की कामना यमराज से करती हैं तथा भाइयों के माथे पर पाँच रंगों का तिलक लगाती है। भाई टीका इस वर्ष 6 नवंबर को मनाया जाएगा।