वीडियोः पुष्टिमार्गीय प्राचीन द्वारिकाधीश मंदिर में घटाओं के दर्शन आखिर क्यों होते है...जानिए

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मथुरा में पुष्टिमार्गीय संप्रदाय के प्राचीन मंदिरों में शुमार विख्यात द्वारिकाधीश मंदिर में सावन के महीने में घटाओं के दर्शनों का आयोजन किया जाता है। इस दौरान मंदिर को एक ही रंग के कपड़ों से सजाया जाता है, विशेष पूजा अर्चना होती है भव्य बंगले सजाए जाते है। ठाकुर द्वारिकाधीश को झूला झुलाया जाता है। इसके पीछे प्रभु के प्रति भक्तों के भाव की प्रधानता है।

ब्रज में प्रभु श्री कृष्ण का बाल स्वरूप है। मंदिर के मीडिया प्रभारी राकेश तिवारी ने बताते है कि सावन के महीने में मौसम में तेज परिवर्तन होता है, कभी आसमान में काली घटना पड़ने लगती है तो कभी नीला आसमान नारंगी हो जाता है। मौसम में हो रहे इसी बदलावा का अहसास प्रभु को कराने के लिए मंदिर में घटाओं के दर्शनों का आयोजन होता है। इस दौरान हरी, केसरिया, काली, लहरिया, सोसनी आदि घटाओं के दर्शन होते है। साल में एक बार सावन के महीने में ठाकुर द्वारिकाधीश को सोने और चांदी के हिंडोलों में विराजमान कर झूला झुलाया जाता है।

इस अवसर पर मंदिर के जगमोहन में रंग बिरंगे फब्बारे भी लगाए जाते है जो कि भगवान द्वारकाधीश को शीतलता प्रदान करते है। ठाकुर द्वारिकाधीश मंदिर के इन अलौकिक दर्शनों के लिए देश, विदेश से श्रद्धालु द्वारिकाधीश मंदिर में पहुंच रहे है।

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