भाग-6/ पितृ-पक्ष विशेष : महान मंत्र दृष्टा थे गौतम ऋषि
संभव है कि भारत में किसी ने सम्पूर्ण रामायण पढ़ी हो या ना भी पढ़ी हो, पर वह जनश्रुति के माध्यम से राम द्वारा अहिल्या उद्धार की घटना को जरूर जानता है।
महर्षि विश्वामित्र द्वारा राजा दशरथ से राम लक्ष्मण को यज्ञ की रक्षा के लिए मांगने के पीछे का उद्देश्य यही था कि विश्वामित्र राम को उनके राज्याभिषेक के पहले समाज की वास्तविक स्थिति को दिखाना चाहते थे कि समाज में साधारण दोष पर भी महिलाओं को तिरस्कृत किया जा रहा है।
गौतम नारी श्राप बस उपल देह धरि धीर।
चरण कमल रज चाहति कृपा करहु रघुवीर।।
इस प्रसंग से ही हमें पता चलता है कि उनके पति ऋषि गौतम है। उनके बारे में जानने पर पता चलता है कि भारत के सप्त ऋषियों में उनका नाम बड़े सम्मान और आदर के साथ लिया जाता है।
इन्हें महान मंत्र दृष्टा कहा गया है। ऋग्वेद के 10522 मंत्रों में से 213 मंत्रों की रचना महर्षि गौतम ने की है। ऋग्वेद में यह मंत्र उनके नाम के साथ दिए हैं।
महर्षि गौतम 'न्याय शास्त्र' के प्रणेता माने जाते हैं। जिसमें 530 मंत्र हैं। शिव पुराण के अनुसार भारत के 6 वैदिक दर्शनों में से एक 'न्याय सूत्र' इस दर्शन का सबसे प्राचीन एवं प्रसिद्ध ग्रंथ है।
ऐसा माना जाता है कि भारत की कानून प्रणाली प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से गौतम के 'न्याय दर्शन' पर आधारित हैं। न्याय दर्शन में निष्कर्ष की विवेचना प्रणाली का विस्तृत वर्णन किया गया है। जिसमें 5 अध्याय हैं पहले अध्याय में 16 विषयों का वर्णन है। जिसका बाद के 4 अध्यायों में विस्तृत वर्णन किया गया है। दूसरे अध्याय में संशय एवं प्रमाणों की विवेचना है। तीसरे अध्याय में आत्मा, शरीर, इंद्रिय और इंद्रियों के विषय तथा मन की विवेचना की गई है। चौथे में इच्छा, दुख, क्लेश, मोक्ष आदि के बारे में बताया गया है और अंतिम के पांचवें अध्याय में जाति का विस्तृत विवेचन किया गया है। आज के समाज वैज्ञानिकों को चाहिए कि वह ऋषि गौतम के न्याय शास्त्र सहित अन्य साहित्यिक सृजन को पढ़ें, अध्ययन करें और आज के सामाजिक परिवेश में क्या सूत्र उपयोगी हो सकते हैं उसे सामने लाएं।
महाभारत के शांति पर्व में उनके द्वारा 60 वर्षों तक की गई शिव आराधना का वर्णन मिलता है। जो उन्होंने उनके ऊपर गौ हत्या के आरोप के बाद की थी।
गौतम और अहिल्या की पुत्री माता अंजना है जिनके पुत्र हनुमान जी हैं उनके एक पुत्र शतानंद है। जिनका उल्लेख वाल्मीकि रामायण में आता है वे एक महान तपस्वी थे। और विदेह राज जनक जी के पुरोहित भी। राम के विवाह में पुरोहित कर्म शतानंद जी ने ही किया था।
आज भी अहिल्या उद्धार का स्थान मिथिला के अहियारी गांव में स्थित है। जो कि मिथिला के महत्वपूर्ण पौराणिक पर्यटक स्थलों में से एक है। यहीं पर गौतम कुंड भी है। ऐसे महान ऋषि को शत शत नमन।