भाग-8/ पितृ-पक्ष विशेष : अगस्त्य - श्रेष्ठ ऋषि वैज्ञानिक
आज हम अगस्त्य ऋषि का पुण्य स्मरण कर रहे हैं। वे इतिहास में प्रचंड-इच्छाशक्ति, अदम्य साहस व उच्च मनोबल वाले ऋषि के रुप में जाने जाते हैं। छोटा कद होने के कारण उन्हें बौने-ऋ षि के रुप में भी जाना जाता है। वैज्ञानिक ऋ षियों के रूप में अगस्त ऋषि की गिनती होती है। निश्चित रूप से आधुनिक युग में बिजली का आविष्कार माइकल फैराडे ने किया है व बल्ब के आविष्कार का श्रेय थॉमस एडिसन को जाता है, पर थॉमस एडिसन ने ही एक किताब में लिखा है कि एक रात में संस्कृत के श्लोक को पढ़ते हुए वह सो गए और उस श्लोक का अर्थ और रहस्य मुझे समझ में आया तभी मुझे बल्ब बनाने की प्रेरणा मिली।
ऋ षि अगस्त्य 'अगस्त्य संहिता' नामक ग्रंथ की रचना की इस ग्रंथ की बहुत चर्चा होती है। इस ग्रंथ की प्राचीनता पर भी कई शोध हुए हैं और इसे सही पाया गया। आश्चर्यजनक रूप से इस ग्रंथ में विद्युत उत्पादन से संबंधित सूत्र मिलते हैं। 'अगस्त्य संहिता' में इलेक्ट्रोप्लेटिंग का भी विवरण मिलता है। उन्होंने बैटरी द्वारा तांबा, सोना या चांदी पर पॉलिश चढ़ाने की विधि निकाली। इसलिए अगस्त को 'बैटरी बोन' भी कहते हैं। इसके अलावा अगस्त मुनि ने गुब्बारों को आकाश में उड़ाना और विमान संचालित करने की तकनीकी का भी उल्लेख किया है। अगस्त्य ऋ षि पानी के विखंडन की विधि भी जानते थे। इसीलिए उनके बारे में ऐसी जनश्रुति है कि वे अपनी मंत्र शक्ति से सारे समुद्र का जल पी गए थे। दक्षिण भारत की जीवनदायिनी कावेरी नदी और अगस्त्य का भी पौराणिक कथा के माध्यम से संबंध मिलता है। चंद्रवंश के पराक्रमी और अहंकारी राजा नहुष को उसके अत्याचारों के लिए अगस्त्य ऋ षि ने दंडित किया। जबकि नहुष ने सौ अश्वमेध यज्ञ किए थे। इतने पराक्रमी राजा को दंडित करना अपने आप में पराक्रम था।
अगस्त्य को तमिल भाषा के जनक के रूप में जाना जाता है। तमिलनाडु के लोग आज भी भाषा में उनके योगदान को आदर से याद करते हैं। भारतीय संस्कृति के प्रचार प्रसार में उनके विशेष योगदान के फलस्वरुप जावा और सुमात्रा जैसे देशों में उनकी पूजा-अर्चना की जाती है। अगस्त्य ऋ षि एक अच्छे वीणा वादक भी थे। और एक प्रतियोगिता में तो वीणा वादन में उन्होंने रावण को भी परास्त कर दिया था। रावण की ख्याति विश्व के श्रेष्ठ वीणावादकों में होती है। अगस्त्य के ऋषि मित्रवरुण और माता उर्वशी के पुत्र थे। महर्षि अगस्त्य ने विदर्भ नरेश की पुत्री लोपामुद्रा से विवाह किया जो विद्वान और वैदज्ञ थी। दक्षिण भारत में इन्हें कृष्णेक्षणा के नाम से जाना जाता है। इध्मवाहन इनका पुत्र था। ललिता सहस्त्रनाम को लोकप्रिय करने का श्रेय भी अगस्त्य और लोपामुद्रा को जाता है। ऋग्वेद के भी कई मंत्रों की वे रचियता हैं।
रामायण के अरण्यकांड में दंडक वन में प्रवेश से पहले राम और अगस्त का मिलन बताया गया है। अगस्त्य जी का आश्रम नासिक के पंचवटी के आसपास ही था और उन्होंने राम को भी गोदावरी के तट पर रहने की सलाह दी थी।
गोदावरी निकट प्रभु रहे परन गृह छायी ।। बाद में जब राम और रावण के बीच युद्ध हुआ तो देखने वाले साधुओं में अगस्त्य भी थे। राम के चिंतित होने पर अगस्त्य ने राम को सूर्य की अराधना करने वाला 'आदित्य हृदय' नामक एक पवित्र महामंत्र दिया। इस मंत्र का 3 बार जाप करते ही राम में रावण को मारने की शक्ति आ गई। राम ने विश्व के आदिकर्ता ब्रह्मा के पौत्र रावण को मारा था। यही चिंता उनके मन में थी। इससे मुक्ति पाने के लिए अगस्त्य ने राम को अश्वमेघ यज्ञ करने की सलाह दी थी। महर्षि अगस्त्य राजा दशरथ के राजगुरु थे। मंत्र दृष्टा ऋ षियों में उनकी गणना होती है। ऋ ग्वेद के प्रथम मंडल के 165 सूक्त से 191 तक के सूक्तों को अगस्त्य ऋ षि द्वारा रचित बताया जाता है। ऐसे दिव्य ऋ षि जो आज की आधुनिक भाषा में एक श्रेष्ठ वैज्ञानिक, साहित्य मर्मज्ञ और उत्कृष्ट कलाकार भी हैं, को सादर नमन।