एक ऐसा मंदिर जहां बहनें करती हैं भाइयों के लिए पूजा
सीवान। यूं तो भाई-बहन के प्यार के लिए रक्षाबंधन का त्योहार हमारे देश के साथ-साथ पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। लेकिन सीवान में एक ऐसा मंदिर है जिसे भाई और बहन के प्रेम का प्रतिक माना जाता है। भैया-बहिनी मंदिर नाम से प्रसिद्ध इस अति प्राचीन मंदिर में रक्षाबंधन के ठीक एक दिन पहले अपने भाइयों की सलामती, तरक्की और उन्नति की खातिर पूजा करने के लिए महिलाओं व युवतियों की भरी भीड़ उमड़ती है।
सीवान जिले के महाराजगंज अनुमंडल स्थित दरौंदा प्रखंड के भीखाबांध गांव में स्थापित ये है भैया-बहिनी मंदिर।जिसे भाई-बहन के पवित्र रिश्ते और प्रेम का प्रतिक के रूप में विख्यात इस मंदिर में रक्षाबंधन के एक दिन पहले श्रद्धालुओं का जमावड़ा लग जाता है और ये श्रद्धालु और कोई नहीं बल्कि अपने भाईयों से अटूट प्यार, श्रद्धा और स्नेह रखने वाली उनकी बहनें होती हैं। लोगों में ऐसी आस्था है कि इस मंदिर में पूजा करने वाली बहनों के भाइयों को दीर्घायु के साथ-साथ तरक्की और उन्नति प्राप्त होती है। लिहाजा, हर साल सावन की पूर्णिमा के दिन पहले यहां अपने भाइयों की चहेती बहनों तांता लग जाता है जो मंदिर और वहां लगे बरगद के पेड़ो की पूजा अर्चना करती हैं।
भैया-बहिनी नामक इस मंदिर में न तो किसी भगवान की मूर्ति है और ना कोई तस्वीर बल्कि मंदिर के बीचोबीच मिट्टी का एक ढेर मात्र है। भाई-बहन के अटूट रिश्तो में बंधी बहने इसी मिट्टी के पिंड और मंदिर के बाहर लगे बरगद के पेड़ो की पूजा कर अपने भाइयों की सलामती, उन्नति और लम्बी उम्र की कामना करती हैं। करीब पांच-छ: बीघे के भू-खंड में चारों ओर से बरगद के पेड़ों के बीच बने इस भैया-बहिनी मंदिर के बारे में ऐसी मान्यता है कि मुग़ल शासन काल में इस तरफ से गुजर रहे दो भाई-बहनों ने डाकुओं और बदमाशो से अपने को बचाने के लिए धरती के अन्दर समाधी ले लिया था। कालांतर में दोनों की समाधियों पर दो बरगद के पेड़ उग आये जो कि आपस में एक दुसरे से जुड़े थे। लोगो ने उन बरगद के पदों के उन्ही भाई-बहनों का रूप मान वहां एक छोटा सा मंदिर बनाकर पूजा-अर्चना करनी शुरू कर दी जो धीरे-धीरे बहनों के आस्था का केंद्र बन गया।
बहरहाल, अपनी सलामती और रक्षा के लिए बहनों द्वारा रक्षाबंधन के दिन अपने भाइईयों की कलाई पर राखी बांधने की सदियों से परम्परा चली आ रही है लेकिन भाइयों की सलामती, उन्नति और दीर्घायु के लिए बहनों की आस्था का केंद्र बना भीखाबांध का यह भैया-बहिनी मंदिर वाकई में भाई-बहन के पवित्र रिश्तों और प्यार की अनूठी मिसाल है।