नरक चतुर्दशीः भगवान श्रीकृष्ण ने किया था इस दिन नरकासुर का वध
हरिद्वार । कार्तिक मास में पड़ने वाले पंच पर्वों की शुरुआत धनतेरस के साथ हो गई है। शुक्रवार को धनतेरस का पर्व उल्लास के साथ मनाया जा रहा है। धनतेरस से आरम्भ होकर भाई दूज को समाप्त होने वाला यह पंच पर्व इस बार छह दिनों का है। 12 नवम्बर को दीपावली के अगले दिन सोमवती अमावस्या होने के कारण गोवर्धन पूजा 13 नवम्बर के स्थान पर 14 नवम्बर को मनाई जाएगी और उसके अगले दिन भाई दूज का पर्व। इस कारण से इस बार पंच पर्व छह दिनों का हो गया है। शुक्रवार को जहां धनतेरस का पर्व मनाया जा रहा है, वहीं शनिवार को छोटी दीपावली व नरक चतुर्दशी का पर्व मनाया जाएगा।
नरक चतुर्दशी व छोटी दीपावली के संबंध में पौराणिक कथाओं के अनुसार, प्राचीन काल में नरकासुर राक्षस ने अपनी शक्तियों से देवताओं और ऋषि-मुनियों के साथ सोलह हजार एक सौ कन्याओं को भी बंधक बना लिया था। नरकासुर के अत्याचारों से त्रस्त देवता और साधु-संत भगवान श्री कृष्ण की शरण में गए। नरकासुर को स्त्री के द्वारा ही मरने का श्राप था, इसलिए भगवान श्री कृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा की मदद से कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को नरकासुर का वध किया और उसकी कैद से सोलह हजार एक सौ कन्याओं को आजाद कराया। कैद से आजाद करने के बाद समाज में इन कन्याओं को सम्मान दिलाने के लिए श्री कष्ण ने इन सभी कन्याओं से विवाह कर लिया।
पं. देवेन्द्र शुक्ल शास्त्री के मुताबिक मान्यता है कि जब श्रीकृष्ण ने नरकासुर राक्षस का वध किया था, तो वध करने के बाद उन्होंने तेल और उबटन से स्नान किया था। तभी से इस दिन तेल, उबटन लगाकर स्नान की प्रथा शुरू हुई। मान्यता यह भी है कि इस दिन करवा चौथ के करवे में रखे जल से स्नान करने से रोग और पापों के साथ नरक से मुक्ति मिलती है।
एक अन्य मान्यता के अनुसार नरकासुर के कब्जे में रहने के कारण सोलह हजार एक सौ कन्याओं के रूप को श्रीकृष्ण ने फिर से कांति प्रदान की थी, इसलिए इस दिन महिलाएं तेल के उबटन से स्नान कर सोलह श्रृंगार करती हैं।
कार्तिक मास की चतुर्दशी तिथि को नरक चतुर्दशी मनाई जाती है। इसे नरक चौदस, रूप चौदस या रूप चतुर्दशी भी कहा जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार इस दिन मृत्यु के देवता यमराज की पूजा का विधान है। दिवाली से ठीक एक दिन पहले मनाए जाने की वजह से नरक चतुर्दशी को छोटी दिवाली भी कहा जाता है। नरक चतुर्दशी पर यम का दीपक जलाया जाता है। इस दिन भगवान कृष्ण की उपासना भी की जाती है। मान्यता यह भी है कि इसी दिन हनुमान जी का जन्म हुआ था।