आजादी के बाद दूसरी बार 15 अगस्त को मनेगी नाग पंचमी
ग्वालियर। श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि नाग पंचमी के रूप में मनाई जाती है। इस दिन जहां उत्तर भारत में नाग पूजा की जाती है वहीं दक्षिण भारत में ऐसा ही पर्व कृष्ण पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है। हिन्दू धर्म में नाग पंचमी का अत्यंत महत्व है। मान्यता के अनुसार इस दिन सर्पों के 12 स्वरूपों की पूजा की जाती है और दूध चढ़ाया जाता है। भगवान शिव को सर्प अत्यंत प्रिय हैं, इसलिए उनके प्रिय माह सावन में नाग पंचमी का त्यौहार आता है, जिसे श्रद्घा पूर्वक विधि विधान से मनाने पर भोलेनाथ प्रसन्न होकर अपनी कृपा बरसाते हैं। ज्योतिषाचार्य पं. सतीश सोनी के अनुसार इस बार नाग पंचमी 15 अगस्त बुधवार को मनाई जाएगी। नाग पंचमी का यह पर्व आजादी के बाद 15 अगस्त के दिन दूसरी बार मनाया जा रहा है।
कालसर्प दोष से मिलती है मुक्ति
श्रावण मास का संबंध भगवान शिव से है। शिव का आभूषण सर्प देवता हैं। अत: इस नाग पंचमी तिथि पर कालसर्प के दोष से मुक्ति मिलती है। इसी क्रम में बालाजी धाम काली माता मंदिर गरगज कॉलोनी में कालसर्प दोष निवारण के लिए शांति पूजा की जाएगी।
भारत की कुंडली में बन रहा है कालसर्प दोष
ज्योतिषाचार्य के अनुसार भारत देश की कुंडली में इस बार कालसर्प दोष बन रहा है। इससे पहले 38 वर्ष पूर्व 15 अगस्त के दिन 1980 में यह दोष बना था। इस दिन यह योग सुबह 06.07 से शाम को 04.15 बजे तक रहेगा।