काल के विधान की विचित्र बातें, जानें
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नई दिल्ली। हर व्यक्ति के जीवन में कुछ न कुछ परेशानियां जरूर रहती हैं। इसका सीधा संबंध समय से है जिसे हम काल कहते है आज हम आपको बताते है इसका सीधा संबंध
- काल का अर्थ समय होता है और काल भगवान् विष्णु का एक रूप है। काल के विधान का सीधा संबंध प्रकाश की गति से है।
- सत्यलोक में रहने वाले ब्रह्मा अगर अपने लोक से प्रकाश की गति से चलें तो पृथ्वी पर वो उसी काल में पहुँच जायेंगे जिस काल में चले थे।
- सत्यलोक से नागलोक तक कोई भी देवता, मनुष्य, असुर, नाग या स्वयं ब्रह्मा भी कभी प्रकाश की गति से तेज नहीं चल सकते, क्योंकि प्रकाश की गति से ज्यादा तेज होते ही वो समय का उलंघन कर जायेंगे। काल का उलंघन न किसी ने किया है और न कोई कर पायेगा।
- मानवीय सभ्यता का समय में यात्रा करने का सपना, हमेशा सपना ही रहेगा, क्योंकि मनुष्य कभी भी Time Machine नहीं बना सकते, देवता भी नहीं बना सकते।
- ब्रह्मा के एक परार्ध में और इन ब्रह्मा से पहले असंख्य ब्रह्माओं के समय में भी ऐसा कभी नहीं हुआ कि किसी ने समय की यात्रा की हो, और एक समय से दुसरे समय में गया हो, सिवाय एक के।
- काकभुसुंडि अकेले प्राणी हैं जिसने समय में यात्रा की है वो भी भगवान् राम के अनुग्रह से। क्योंकि राम ही काल भी हैं इसलिए भगवान् राम ने भुसुंडि जी को अपना थोड़ा सा प्रताप दिखाया था, राम के पेट में भुसुंडि जी असंख्य ब्रह्मांडों में भटकते रहे थे। वो हर ब्रह्माण्ड में 100- 100 वर्ष रहे थे। उन्होंने अनेकों बार राम और कृष्ण का जन्म देखा था, महाभारत का युद्ध देखा था, सती विध्वंस आदि प्रसंग देखे थे। उसके बाद भी वो राम के मुख से उसी समय बाहर आ गए थे, जिस समय प्रवेश किया था।
-जीवात्मा भी काल से परे है, लेकिन वो काल के आधीन है, फिर भी उसमें काल के परिवर्तन- जन्म, विकास, मरण और प्रजनन नहीं होते। परमात्मा भी काल से परे है और काल पर नियंत्रण करने वाला है।
ज्योतिषाचार्य पंडित सतीश सोनी