हरितालिका तीज व्रत इस तारीख को रखें, जानें व्रत का महत्व
नई दिल्ली। पति के लम्बी आयु एवं सौभाग्य वृद्धि के लिए किया जाने वाला हरितालिका व्रत भाद्रपद शुक्ल पक्ष तृतीया को माता गौरी एवं भगवान भोले नाथ की पूजा आराधना के साथ रखा जाता है। वैसे तो तृतीया तिथि 1 सितम्बर दिन रविवार को दिन में 11:02 बजे से प्रारंभ होकर 2 सितम्बर दिन सोमवार को सुबह दिन में 9:02 बजे तक व्याप्त होगा।
अतः उदया तिथि के अनुसार 2 सितम्बर को ही तीज व्रत रखा जाएगा। 2 सितम्बर दिन सोमवार को सूर्योदय 5 बजकर 45 मिनट पर होगा, सुबह 9 बजकर 2 मिनट के बाद चतुर्थी तिथि लग जायेगी, इस दिन हस्त नक्षत्र दिन में 1 बजकर 35 मिनट, पश्चात चित्रा नक्षत्र, शुभ योग दिन में 11 बजकर 9 मिनट बाद शुक्ल योग। चन्द्रमा का संचरण कन्या राशि में होगा । भाद्रपद महिने के शुक्ल पक्ष की तृतीया को हरितालिका का व्रत किया जाता है। इसमें अगर तृतीया तिथि का मुहूर्त मात्र (2 घटी अर्थात 48 मिनट =1मुहूर्त) भी हो तो भी यही तिथि ग्राह्य है। क्योंकि द्वितीया पितामह ब्रह्मा जी का है और चतुर्थी गौरी, पुत्र गणेश की तिथि है, अतः द्वितीया से युक्त तृतीया का निषेध और चतुर्थी का योग श्रेष्ठ है। गौरी और गणेश के तिथियों का सम्मिलन उत्तम माना गया है। अतः 2 सितम्बर को निर्विवाद रूप से पवित्र व्रत हरितालिका रखा जाएगा।
ज्योतिषाचार्य पंडित सतीश सोनी के अनुसार, इस वर्ष व्रत का महात्म्य भाद्रपद तृतीया तिथि सोमवार को होने से एवं चन्द्रमा कन्या राशि का होकर दैनिक ग्रहीय स्थिति के अनुसार धन स्थान में स्थित होकर आयुष्य भाव पर दृष्टिपात करेगा ।हस्त नक्षत्र का स्वामी चन्द्र अपने ही वार का नियमन कर रहा है । अतः यह व्रत पति के आयुष्य एवं भौभाग्य वृद्धि के साथ ही साथ अनेकानेक अन्य शुभताओं को प्रदान करने वाला है। सौभाग्यवती स्त्रियाॅ अपने सुहाग की लम्बी आयु की कामना से हरितालिका तृतीया यानी तीज व्रत करती हैं ।इसमें महिलाएँ अन्न, जल ग्रहण किये बिना पूरे श्रद्धापूर्वक यह व्रत रखती हैं । पुराणों के अनुसार इस व्रत को देवी पार्वती ने किया था, जिसके फलस्वरूप उन्हें भगवान शंकर की प्राप्ति हुई थी। इस दिन पूजन, अर्चन के साथ माॅ पार्वती की कथा भी सुनती हैं, जिसमें देवी पार्वती के त्याग, धैर्य एवं एकनिष्ठ पतिव्रत की भावना को जानकर उनका मन विभोर हो उठता है । इस दिन मुख्य रूप से शिव- पार्वती और मंगलकारी गणेश जी की पूजा- अर्चना करने का विधान है ।