आस्था, आरोग्य के साथ ही तुलसी की कृपा से 'लक्ष्मी' हो सकती हैं मेहरबान

आस्था, आरोग्य के साथ ही तुलसी की कृपा से लक्ष्मी हो सकती हैं मेहरबान
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नई दिल्ली। तुलसी प्राचीन काल से हमारे आंगन की शोभा रही है। इसका धार्मिक और औषधीय महत्व तो है ही, यह आमदनी का बेहतर जरिया भी बन सकती है। तुलसी की खेती कर सहजता से कम अवधि में ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं।

लखनऊ स्थित केन्द्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान (सीमैप) के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. संजय कुमार ने रविवार को बातचीत में कहा कि तुलसी की खेती किसानों की आय बढ़ाने में सहायक हो सकती है। औषधीय खेती में भारत ने दुनिया में अलग पहचान बनाई है। यहां के औषधियों की मांग चीन, अमेरिका सहित अरब देशों में है। वैसे तो तुलसी की कई प्रजातियां हैं, लेकिन बाजार में बबुई और श्यामा तुलसी की मांग अधिक रहती है।

डॉ. संजय के मुताबिक बबुई तुलसी का अधिकतर उपयोग तेल बनाने के लिए किया जाता है। इसका तेल बाजार में 800 से 1000 रुपये प्रति लीटर तक बिकता है। एक एकड़ में अगर बबुई तुलसी लगाई जाए तो इससे लगभग 40 लीटर तेल प्राप्त किया जा सकता है। किसान अगर एक एकड़ में श्यामा तुलसी लगाता है तो उसको चार से पांच महीने में सात से आठ क्विंटल सूखी पत्तियां मिल जाती हैं। एक किलो सूखी पत्ती का बाजार में 70 से 90 रुपया प्रति किलो तक मिल जाता है। इन पत्तियों को दिल्ली का खारी बावली बाजार और मथुरा में अच्छे रेट मिल जाते हैं।

उन्होंने बताया कि सीमैप किसानों को तुलसी की खेती करने के लिए प्रेरित करता है। किसानों को उन्नतशील बीज देने के साथ-साथ उनके उत्पाद का सही रेट मिले इसके लिए भी काम किया जा रहा है। सरकार द्वारा एरोमा मिशन चलाया जा रहा है। इसके तहत किसानों को सगंधित खेती की जानकारी दी जाती है। किसानों को सीमैप की ओर से पौध और प्रशिक्षण दिया जाता है। साथ ही किसानों को प्रसंस्करण और मार्केटिंग में भी मदद की जाती है।

कैसे करें रोपाई

एक हेक्टेयर में तुलसी की रोपाई के लिए 250 ग्राम बीज की नर्सरी डालनी होती है। एक महीने में नर्सरी के पौधे रोपाई के लिए तैयार हो जाते हैं। रोपाई के समय यह ध्यान रखना चाहिए कि पौधे से पौधे की दूरी 12-15 इंच और लाइन से लाइन की दूरी 15-18 इंच होनी चाहिए। तुलसी के पौधों में किसी प्रकार के कीड़े नहीं लगते हैं। इस कारण किसी भी तरह के कीटनाशक और रासायनिक खाद का प्रयोग नहीं करना चाहिए। विशेषज्ञों का मानना है कि तुलसी की फसल 65-70 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। इसको छाया में सुखाने से गुणवत्ता बरकरार रहती है।

वेदों में वर्णित है तुलसी का महत्व

अयोध्या के रहने वाले पंडित रंगनारायण शास्त्री का कहना है कि अथर्ववेद में तुलसी के महत्व के बारे में बताया गया है। अथर्ववेद में श्यामा तुलसी को मानव के लिए बहुत उपयोगी बताया गया है। तुलसी को शरीर के ऊपर के सफेद धब्बे अथवा अन्य प्रकार के त्वचा संबंधी रोगों को नष्ट करने के लिए एक बेहतर औषधि बताई गई है।

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