पवित्र वैज्ञानिक ग्रंथ है श्रीरामचरित मानस : मोरारी बापू
रावतपुरा धाम में श्रीराम कथा का चौथा दिन
ग्वालियर, न.सं.। रावतपुरा धाम, लहार, जिला भिण्ड में चल रही राष्ट्रीय संत मोरारी बापू की श्रीराम कथा के चौथे दिन मंगलवार को बापू जी ने कहा कि हमें किसी से द्वेष नहीं रखना चाहिए। हमें विश्व कल्याण के मंगल के लिए अध्ययन करना है। साधु को प्रेम करने से कोई हानि नहीं होती है। साधु तो साधु ही रहता है। विभीषण जैसे सज्जन साधु को लात मारकर रावण का क्या हुआ? ये आप जानते हैं। सनातन वैदिक धर्म एक मात्र धर्म है, जिसकी शाखाओं से अनेक सम्प्रदाय निकले। सनानत धर्म की सालों से कोई गिनती नहीं है, इसलिए इसे सनातन धर्म कहा गया। यही तो सनातन का मूल है। यह मैं नहीं कह रहा हूं, यह गोस्वामी तुलसीदास जी की श्रीरामचरित मानस कह रही है।
व्यासपीठ से राष्ट्र संत मोरारी बापू ने भगवान का वर्णन करते हुए कहा कि भगवान शिव धर्म का मूल हैं। सनातन धर्म की जड़ शिव हैं। शिव धर्म की जड़ हैं। शिव की आलोचना करोगे तो क्या धर्म बचेगा? उन्होंने बताया कि मैं जहां-जहां भी श्रीराम कथा करता हूं, हर जगह द्रव्य दान की बात करता हूं। लोगों ने भी मानना शुरू किया है। मंत्र शुद्धि राम मंत्र जैसा पवित्र मंत्र इस दुनिया में नहीं है। चित्त शुद्धि भगवान हनुमान का मन रावण के स्वर्ण महल में भी नहीं डोलता। यह चित्त शुद्ध है। वचन शुद्धि ऐसे प्यारे बोल बोलना चाहिए, जिससे सबका मन खुश हो जाए। अशोक वाटिका में माता सीता से जो संवाद हनुमान जी का हुआ, वह वचन शुद्धि का सबसे बड़ा उदाहारण है। बापू जी ने श्रीरामचरित मानस का वर्णन करते हुए कहा कि गोस्वामी तुलसीदास जी का श्रीरामचरित मानस पवित्र वैज्ञानिक ग्रंथ है। मैं नासा के वैज्ञानिकों को निमंत्रित करता हूं, वे आएं और देखें कि हमारी पवित्र पोथी वैज्ञानिक है। बापू जी ने मां सीता और कौवे की कथा सुनाते कहा कि जयंत कौवे का रूप धारण कर श्रीराम का बल देखना चाहता था। तुलसीदास जी लिखते हैं कि जैसे मंदबुद्धि चींटी समुद्र की थाह पाना चाहती हो, उसी प्रकार से उसका अहंकार बढ़ गया था और इस अहंकार के कारण सीता चरण चोंच हतिभागा, मूढ़ मंद मति कारन कागा, चला रुधिर रघुनायक जाना, सीक धनुष सायक संधाना...। वह मूढ़ मंद बुद्धि जयंत कौवे के रूप में सीता जी के चरणों में चोंच मारकर भाग गया। जब रक्त निकलने लगा तो रघुनाथ जी ने जाना और एक सींक कौवे की तरफ उछाली, शरणागत के हितकारी, मेरी रक्षा कीजिए। आपके अतुलित बल और आपकी अतुलित प्रभुता (सामथ्र्य) को मैं मंद बुद्धि जान नहीं पाया था। अपने कर्म से उत्पन्न हुआ फल मैंने पा लिया। अब हे प्रभु! मेरी रक्षा कीजिए। मैं आपकी शरण तक कर आया हूं। शिवजी कहते हैं हे पार्वती! कृपालु श्री रघुनाथ जी ने उसकी अत्यंत दु:ख भरी वाणी सुनकर उस सींख ने कौवे को एक आंख का काना करके छोड़ दिया। वह सींक कौन थी? वह हनुमान जी थे। हनुमान जी के मूल में निर्मल प्रेम है। उन्होंने गौमाता की सेवा के बारे में भी विस्तार से बताया। पूज्य बापू ने कहा कि अभी-अभी थोड़े दिनों पहले की बात है कुछ सांसद संसद में हंस रहे थे, खिल्ली उड़ा रहे थे, इस पर देश के गृहमंत्री ने कहा कि हंसो-हंसो खूब हंसो, खिल्ली उड़ाओ, पूरा देश देख रहा है। रविशंकर जी महाराज (रावतपुरा सरकार) कर्मयोगेश्वर ने भक्तगणों के बीच बैठककर कथा का श्रवणपान किया। इस दौरान डॉ. रामकमलदास वेदांती, विधायक ब्रजेन्द्र प्रताप सिंह, विधायक संजय शर्मा, उत्तर प्रदेश के विधायक रवि शर्मा, पूर्व मंत्री नारायण सिंह कुशवाह, अजय दीक्षित ने आरती में भाग लिया। संचालन रमाकांत व्यास ने किया। राष्ट्र संत मोरारी बापू बुधवार को शिव चरित्र एवं राम जन्म की कथा का वर्णन करेंगे।